देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने मंगलवार को कहा कि आने वाले 30 वर्षों की चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) को ध्यान में रखते हुए उसे बेहतर तथा व्यवस्थित बनाने के लिए राज्य सरकार प्राधिकरण या किसी अन्य संस्था के गठन की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इसके गठन से पहले तीर्थ पुरोहितों, मंदिर समितियों, तीर्थ पुरोहित महासभाओं सहित सभी पक्षों की राय भी ली जाएगी।
मुख्यमंत्री ने यह बात यहां उनसे मिलने आए उत्तराखंड तीर्थ पुरोहित महापंचायत के पदाधिकारियों से कही। महापंचायत पदाधिकारी राज्य मंत्रिमंडल द्वारा हाल में प्रदेश में स्थित चारधाम और अन्य प्रमुख मंदिरों के नाम या उन्हें बनाने वाले ट्रस्ट या समिति के नाम का दुरुपयोग रोकने हेतु कठोर विधिक प्रावधान करने का निर्णय लेने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करने आए थे।
दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के प्रस्तावित निर्माण के विरोध के बीच उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने 18 जुलाई को निर्णय लिया था कि चारों धामों (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) के नाम या उन्हें बनाने वाले ट्रस्ट या समिति से मिलते-जुलते नामों का प्रयोग रोकने के लिए कड़े विधिक प्रावधान लागू किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कठोर विधिक प्रावधान लागू होने से स्थानीय परंपराओं एवं धार्मिक मान्यताओं को ठेस नहीं पहुंचेगी तथा स्थानीय स्तर पर आक्रोश की भी संभावना नहीं रहेगी।
उन्होंने कहा कि राज्य हित के इस निर्णय से उत्तराखंड के अन्दर अथवा बाहर कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था किसी समिति अथवा ट्रस्ट का गठन कर राज्य के चारधामों एवं प्रमुख मंदिरों के नाम पर समिति अथवा ट्रस्ट का गठन नहीं कर पाएगा जिससे इस संबंध में उत्पन्न विवाद का भी समाधान होगा।
पंजीकरण की व्यवस्था को और बेहतर बनाने के प्रयास : मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा के तहत श्रद्धालुओं के लिए 'ऑफलाइन' एवं 'ऑनलाइन' पंजीकरण की व्यवस्था को और बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चारधाम आने वाले किसी भी यात्री को असुविधा न हो, इसके हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। धामी ने तीर्थ पुरोहितों के अनुरोध पर प्रत्येक धाम में आयोजित होने वाले 2 धार्मिक आयोजनों के लिए राज्य सरकार की ओर से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने पर भी सहमति जताई।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta