हमारे जैसे छोटे व्यापारियों की मुसीबत हो गई है। हमारा पूरा ही व्यापार नकद पर चलता है और फिलहाल हमें उधार पर ही काम चलाना पड़ रहा है। उनका कहना है कि रोज के खर्चों के लिए हमेंं पेटीकैश की जरूरत होती है और घर पर भी हमें नकद पैसा तो चाहिए ही। 4 हजार तो हमारी एक दिन की जरूरत भी पूरी नहीं हो सकती। सरकार कोइस बारे में भी कुछ सोचना चाहिए।''
सेठ ने हमें हमारी 2000 रुपए की मजदूरी 500 के नोटों में दी थी, अब बैंक वाले कहते हैं कि खाता होना जरूरी है और मेरा कहीं भी खाता नहीं। अभी तो इनके पास खाता खोलने की फुरसत ही कहां!हालांकि पास खड़े लोगों ने उन्हें बताया भी कि फिलहाल खाता खोले बिना भी नोट बदले जा रहे हैं तो कैलाश ने बताया कि वो लिख-पढ़ नहीं सकता।