यहां आस्था का केन्द्र है कुतिया महारानी मां का मंदिर

Webdunia
साईं बाबा संत थे या भगवान, यह सवाल भले ही उठाया जा रहा हो, आस्था का कोई जवाब नहीं। बुंदेलखंड क्षेत्र के झांसी जनपद में स्थित रेवन और ककवारा गांवों के बीच लिंक रोड पर कुतिया महारानी मां का एक मंदिर है, जिसमें काली कुतिया की मूर्ति स्थापित है। आस्था के केंद्र इस मंदिर में लोग प्रतिदिन पूजा करते हैं।
 

 
श्रद्धालु यहां सुख-समृद्धि और परिवार एवं फसलों की खुशहाली की मन्नतें मांगते हैं। झांसी के मऊरानीपुर के गांव रेवन और ककवारा के बीच लगभग तीन किलोमीटर का फासला है। इन दोनों गांवों को आपस में जोड़ने वाले लिंक रोड के बीच सड़क किनारे एक चबूतरा बना है। इस चबूतरे पर एक छोटा सा मंदिरनुमा मठ बना हुआ है। इस मंदिर में काली कुतिया की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के बाहर लोहे की जालियां लगाई गई हैं, ताकि कोई इस मूर्ति को नुकसान न पहुंचा सके।
 
इस मंदिर पर आसपास के गांवों की महिलाएं प्रतिदिन जल चढ़ाने आती हैं और यहां पूजा-अर्चना कर अपने परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद मांगती हैं। वैसे तो आबादी से दूर यह छोटा सा मंदिर सुनसान सड़क पर बना है, मगर यहां के लोगों की कुतिया महारानी के प्रति अपार श्रद्धा है। ग्रामीणों के मुताबिक, कुतिया का यह मंदिर उनकी आस्था का केंद्र है।
 
बताया जाता है कि दोनों गांवों में जब भी किसी भी आयोजन में होने वाला खाना यानी पंगत होती थी, तो यह कुतिया वहां पहुंचकर पंगत खाती थी। पुराने समय में पंगत शुरू होने से पहले बुंदेलखंडी लोक संगीत का एक वाद्य यंत्र रमतूला बजाया जाता था। उसकी आवाज सुनकर उस आयोजन में आमंत्रित सभी लोग पंगत खाने पहुंच जाते थे।
 
एक बार ककवारा और रेवन दोनों गांवों में कार्यक्रम था। दोनों जगह पंगत होनी थी। कुतिया को भी दोनों जगह जाना था, लेकिन वह उस दिन कुछ बीमार थी।
ककवारा का रमतूला जैसे ही बजा, वह ककवारा की ओर दौड़ने लगी। जब तक वह ककवारा पहुंची, वहां पंगत खत्म हो चुकी थी। वह थक कर चूर हो गई। उसने सोचा कुछ आराम कर लूं। वह वहीं लेट गई। इसी दौरान रेवन गांव का रमतूला बजने लगा। कुतिया ने सोचा कि यदि देर हो गई तो रेवन की पंगत भी नहीं मिलेगी और उसे भूखा ही रहना पड़ेगा। यह सोचकर वह रेवन की ओर दौड़ गई। जब तक वह रेवन पहुंची, वहां की भी पंगत खत्म हो गई।
 
दोनों ओर से खाना न मिलने और बीमारी की वजह से वह हताश होकर वापस चल पड़ी और रेवन व ककवारा के बीच एक स्थान पर सड़क किनारे गिरकर बेहोश हो गई और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई।
 
सुबह जब गांव वालों को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने कुतिया के शव को वहीं पर दफना दिया और उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण करा दिया। तब से यह कुतिया महारानी मां के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
 
इस तरह की और खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
 
Show comments

जरूर पढ़ें

हवाई हमलों में ढेर हुआ हमास का चीफ मोहम्मद सिनवार, बेंजामिन नेतन्याहू ने किया ऐलान

नाथूराम गोडसे का वंशज है कोर्ट में केस करने वाला, सावरकर मानहानि मामले में राहुल गांधी का दावा, शिवसेना नेता ने दी मुंह पर कालिख पोतने की धमकी

Pakistan क्यों गई थी कांग्रेस नेता की पत्नी, गौरव गोगोई ने दिया CM हिमंत विस्वा सरमा को जवाब

3 भारतीय ईरान में किडनैप, मांगी करोड़ों की फिरौती, एजेंट ने ऑस्ट्रेलिया भेजने का किया था वादा, पढ़िए पूरी कहानी

शशि थरूर के बयान पर क्‍यों भड़के कांग्रेस नेता उदित राज, बोले- भाजपा का मुख्य प्रवक्ता घोषित कर देना चाहिए

सभी देखें

नवीनतम

तेलंगाना में 830 किलो गांजा जब्त, 4 करोड़ से ज्‍यादा है कीमत, 2 आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 24 IPS समेत 38 अधिकारियों का हुआ ट्रांसफर

Delhi Airport शीर्ष 10 बड़े हवाई अड्डों में शामिल

Weather Update : दिल्ली में आंधी-बारिश का अनुमान, यलो और ऑरेंज अलर्ट, राजस्‍थान में भीषण गर्मी

Coronavirus की नई लहर के बीच WHO का अलर्ट, देशभर में सक्रिय मामलों की संख्या 1000 के पार