Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

द्रौपदी डांडा टू में हिमस्खलन: 26 में से 11 पर्वतारोहियों के शवों की हुई शिनाख्त, 3 अब भी लापता

हमें फॉलो करें द्रौपदी डांडा टू में हिमस्खलन: 26 में से 11 पर्वतारोहियों के शवों की हुई शिनाख्त, 3 अब भी लापता

एन. पांडेय

, शनिवार, 8 अक्टूबर 2022 (15:09 IST)
देहरादून। द्रौपदी डांडा टू में हिमस्खलन की चपेट में आए पर्वतारोहियों की मौत बर्फ में दबकर दम घुटने से हुई। पर्वतारोहियों के शरीर पर चोट के निशान नहीं पाए गए हैं। हादसे के 4थे दिन 7 और पर्वतारोहियों के शव बरामद होने से अब तक कुल 26 शव बरामद हो चुके हैं। 11 शवों की अब तक शिनाख्त हो चुकी है।
 
इनमें से शुक्रवार को 4 शव उत्तरकाशी लाए गए थे, तो 22 शव डोकरानी बामक स्थित एडवांस बेस कैंप में रखे गए थे। मौसम खराब होने के चलते शव हर्षिल नहीं आ पाए थे। शनिवार की सुबह-सुबह सेना के हेलीकॉप्टर द्वारा इन शवों में से 7 को हर्षिल पहुंचा दिया गया। जहां से एम्बुलेंस और अन्य वाहनों से उन्हें उत्तरकाशी ले जाया गया। 
जो 4 शव शुक्रवार को उत्तरकाशी अस्पताल में लाए गए, उनका पोस्टमार्टम कर प्रशासन ने उन सभी को विधिवत श्रद्धांजलि देने और पुलिस प्रशासन द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर देने के बाद परिजनों को सौंप दिया था।
 
प्रशासन ने शवों को घर तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था की है। इनमें पर्वतारोही सविता कंसवाल, नवमी रावत, हिमाचल प्रदेश के शिवम कैंथोला, कुमाऊं के अजय बिष्ट के शव थे जिनको परिवार के लोगों को सौंप दिया गया। 
शनिवार को उत्तरकाशी लाए गए शवों में से 7 पर्वतारोहियों की शिनाख्त अभी तक हो गई है। इनमें नैनीताल के शुभम सांगुड़ी, दीपशिखा हजारिका, शिद्धार्थ खंडूडी, टिल्लू जीरवा, राहुल पंवार, नितीश दहिया, रवि कुमार निर्मल के रूप में इनकी पहचान होनी बताई गई है।
 
राहत एवं बचाव कार्य में निम के कुशल पर्वतारोही, भारतीय सेना, वायुसेना, आईटीबीपी, High Altitude Warfare School के प्रशिक्षक, एसडीआरएफ के साथ जिला आपदा प्रबंधन के लोग शामिल हैं।

webdunia
 
पर्वतारोहण के क्षेत्र में बेहद कम समय में नाम कमाने वाली 24 वर्षीय एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल की मौत की खबर से हर कोई स्तब्ध है। परिवार में 4 बहनों में सबसे छोटी सविता बूढ़े मां-बाप का सबसे बड़ा सहारा थीं। सविता ने जब 15 दिन के भीतर इसी साल मई में एवरेस्ट फतह किया था तो मां ने फख्र से कहा था कि 'बेटी हो तो ऐसी'। मां ने कहा था कि 'पहले तो मैं बोलती थी कि बहुत सारी बेटी हो गई, लेकिन अब तो मैं बहुत खुश हूं'।
 
आज 4थे दिन जब मां को गांव में किसी ने सविता के दुनिया छोड़ने की खबर दी तो मां का कलेजा सीने से उतर गया। बेटी के लिए कहे वो शब्द मां कमलेश्वरी के दिल में ही रह गए जिस पर उसने कभी खुशियों की आस बांधी थी। पिता राधेश्याम कंसवाल भी बेटी के जाने के गम में आंसुओं के सैलाब से भर गए।
 
शुक्रवार को जब जिला अस्पताल में सविता का शव पहुंचा तो एक तरफ ग्रामीण और जानने वालों की भीड़ नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रही थी, तो दूसरी तरफ दूर लोंथरू गांव में बूढ़े मां-बाप सविता की यादों को सीने से लगाकर विलाप कर रहे थे। उस बेटी के लिए रो रहे थे जिसने पहाड़ों के बूते नाम कमाया और फिर सदा के लिए उसी हिमालय की गोद में सो गईं जिसने रोमांच और साहस की दुनिया में न सिर्फ नाम कमाया बल्कि मां-बाप को बेटी होने का गौरव भी महसूस कराया।
 
बहनें भी अपनी लाड़ली बहन को खोकर मातम से अत्यधिक टूटी हुई थी। सविता ने बेहद कम समय में पर्वतारोहण के क्षेत्र में अपना नाम बनाया था। पर्वतारोहण के क्षेत्र में कदम जमाने के लिए सविता ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स किया था।
 
गांव की इस बेटी का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। 4 बहनों में सबसे छोटी सविता ही थीं, जो घर की जिम्मेदारियां भी बखूबी संभाल रही थीं। आज उसके न होने पर पूरा परिवार बिखर गया है। जिला अस्पताल में शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद सविता को डिडसारी पैतृक घाट पर जल समाधि दी गई। 24 वर्षीय सविता अविवाहित थीं।
 
सविता की जल समाधि यात्रा में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए और नम आंखों से विदा कर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व गंगोत्री के पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाण, डीएम अभिषेक रुहेला, एसपी अर्पण यदुवंशी, प्रधान संगठन के प्रताप सिंह रावत आदि भी मौजूद रहे।
 
एवलांच से हुई दुर्घटना को लेकर चल रहे रेस्क्यू और इससे जुड़ी जानकारी पर उत्तरकाशी का जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग लापरवाह नजर आया। घटना के तीसरे दिन भी जिले के आपदा प्रबंधन तंत्र के पास हादसे में लापता लोगों के बारे में सही जानकारी की कमी देखने को मिली। इससे दिनभर परिजन परेशान रहे। स्थिति ये है कि घटना की जानकारी पर अधिकारी अपनी टोपी बचाने के लिए फोन उठाने तक के लिए राजी नहीं हैं।
 
जिस निम की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी बनती है, वहां अधिकारी और कर्मचारी भी कल तक सही जानकारी नहीं दे पा रहे थे। निम के कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी सटीक सूचना नहीं दे पाए तो अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया। इसके चलते परिजनों को अपनों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई।
 
गुरुवार को आईटीबीपी कैंपस मातली पहुंचे डीएम अभिषेक रूहेला के पास रेस्क्यू को लेकर सही जानकारी नहीं थी। आखिर निम और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी क्यों देखने को मिल रही है? इस पर वे कुछ नहीं बोल पाए। परिजनों को सही आंकड़े देने में प्रशासन नाकाम रहा। मौके पर जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल भी थे। सवालों से घिरने के बाद जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने आनन-फानन में इसका सही आंकड़ा जारी किया।
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट, देश के मुकाबले झारखंड में लड़कियों के बाल विवाह की दर अधिक