हाईकोर्ट का विश्वविद्यालय से सवाल, क्या दोषी ऑनलाइन परीक्षा दे सकता है?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
रविवार, 12 मई 2024 (15:44 IST)
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई विश्वविद्यालय से जानना चाहा है कि क्या वह 7/11 सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के एक दोषी को ऑनलाइन कानून की परीक्षा देने की अनुमति दे सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई 10 जून को होगी।
 
न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि सुरक्षा कारणों से यह हो सकता है कि उम्मीदवार मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी को अपनी परीक्षा ऑनलाइन देने की अनुमति दी जाए।
 
मुंबई में कुछ लोकल ट्रेन के डिब्बों में 11 जुलाई, 2006 को सात बम विस्फोट हुए थे, जिनमें 189 लोग मारे गए और 824 अन्य घायल हुए थे। सितंबर 2015 में एक विशेष अदालत ने विस्फोट के इस मामले में अंसारी और अन्य को दोषी ठहराया था।
 
अंसारी ने दक्षिण मुंबई के सिद्धार्थ विधि कॉलेज द्वारा तीन मई से 15 मई तक आयोजित दूसरे सेमेस्टर की कानून की परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति मांगी थी।
 
अदालत ने तब उसे शारीरिक रूप से परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी और नासिक केंद्रीय जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उसे परीक्षा की तारीखों पर कॉलेज ले जाएं। अंसार ने 10 मई को एक आवेदन देकर कहा कि वह 3 और 9 मई को होने वाली परीक्षा में शामिल नहीं हो सका था।
 
हाईकोर्ट ने मुंबई विश्वविद्यालय की ओर से पेश वकील रुई रोड्रिग्स से भी पूछा कि क्या अंसारी को ऑनलाइन परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकती है, जिस पर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई सुविधा नहीं है। न्यायालय ने कहा कि सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, उम्मीदवार को ऑनलाइन माध्यम के जरिये उपस्थित होने की अनुमति दी जा सकती है।
 
अदालत ने मुंबई विश्वविद्यालय को ऐसे उम्मीदवारों को ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित होने की अनुमति देने पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
 
अदालत ने कहा कि मुंबई विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकारी से हम इस पहलू पर गौर करने और एटीएस (महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता) सहित सभी संबंधित पक्षों से परामर्श करने के बाद अपना रुख रिकॉर्ड पर रखने का अनुरोध करते हैं।
 
उच्च न्यायालय ने अंसारी को दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हुए कहा कि वह 17 साल से अधिक समय कारावास में गुजार चुका है और कारावास के दौरान उसने आगे की शिक्षा हासिल की। अभियोजन पक्ष ने उसकी याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि वह गंभीर आरोपों में दोषी ठहराया गया कैदी है।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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