बुंदेलखंड में बचपन पर सबसे ज्यादा खतरा

गिरीश उपाध्‍याय
मध्यप्रदेश से भले ही बीमारू का टैग धीरे-धीरे हट रहा हो लेकिन लगता है राज्य के पिछड़े इलाकों में शुमार बुंदेलखंड क्षेत्र से यह टैग स्थायी रूप से चिपक कर रह गया है। तमाम कोशिशों के बावजूद बुंदेलखंड में न तो बच्चों के पूर्ण टीकाकरण का सम्मानजनक लक्ष्य हासिल हो पा रहा है न ही यहां बच्चों की सेहत के साथ बरती जा रही उदासीनता खत्म हो पा रही है। राजनीतिक जागरूकता के लिहाज से तो यह क्षेत्र बहुत उपजाऊ है, लेकिन सामाजिक जागरूकता को लेकर यहां का पिछड़ापन दूर होने का नाम नहीं ले रहा। 
 
वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एएचएस) 2013 की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश में टीकाकरण की स्थिति को लेकर जो आंकड़े जारी हुए हैं उनके अनुसार सबसे बदतर स्थिति बुंदेलखंड इलाके की है। 12 से 23 माह के बच्चों में पूर्ण टीकाकरण के लिहाज से यहां का प्रतिशत सिर्फ 42 ही है जो प्रदेश के औसत 66.4 से पूरे 24 प्रतिशत कम है। इसी तरह बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सागर संभाग में उन बच्चों की संख्या भी प्रदेश में सर्वाधिक है जिन्हें किसी भी तरह के टीके का लाभ नहीं मिला। प्रदेश में ऐसे बच्चों का औसत 3.6 प्रतिशत है जबकि सागर संभाग में यह 5.6 प्रतिशत है। 
 
सागर संभाग के ऐसे ही दो और आंकड़े यहां की भयावह तस्वीर उजागर करते हैं। प्रदेश में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु का औसत प्रति हजार 83 है लेकिन सागर संभाग में यह आंकड़ा 97.6 है। इसी तरह मातृ मृत्यु दर का प्रदेश का औसत प्रति एक लाख प्रसूताओं पर 227 है जबकि सागर संभाग में यह औसत 322 यानी प्रदेश के औसत से 95 अधिक है।
 
सागर संभाग के जिलों की स्थिति देखें तो यहां सागर जिले की ही स्थिति थोड़ी ठीक कही जा सकती है। सागर जिले में 12 से 23 माह के बच्चों के पूर्ण टीकाकरण का प्रतिशत 55 है जो संभाग में सर्वाधिक है। इसके बाद छतरपुर में यह 43.5, दमोह में 42.4, पन्ना में 38.4 और टीकमगढ़ में 31.5 है। संभाग में किसी भी तरह का टीका न लगने वाले बच्चों की संख्या दमोह और पन्ना जिले में है यहां इसका प्रतिशत 6.2 है। अन्य जिलों की स्थिति देखें तो टीकमगढ़ में यह 5.7, सागर में 5.2 और छतरपुर में 4.7 प्रतिशत है। 
 
ऐसा नहीं है कि बुंदेलखंड क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सागर संभाग का राजनीतिक रसूख कोई कम हो। प्रदेश में मंत्रिमंडल में यहां से आने वाले मंत्रियों की संख्या चार है जो भोपाल संभाग के बाद सर्वाधिक है। इनमें प्रदेश के वित्त, वाणिज्यिक कर, जल संसाधन एवं आर्थिक व सांख्यिकी मंत्री जयंत मलैया, पंचायत, ग्रामीण विकास, सामाजिक न्याय एवं सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव, विधि, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, पशुपालन, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री कुसुम मेहदेले तथा परिवहन, विज्ञान, तकनीक व सूचना प्रौद्योगिकी, लोक सेवा प्रबंधन व जन शिकायत निवारण मंत्री भूपेंद्रसिंह शामिल हैं। 
 
इसी तरह सागर संभाग से महिला विधायकों की संख्या भी प्रदेश में इंदौर संभाग के बाद सर्वाधिक यानी 7 है। ऐसे में इस संभाग में महिलाओं व बच्चों की सेहत के प्रति उदासीनता दिखाती स्थिति न सिर्फ चिंताजनक है वरन यह मांग भी करती है कि यदि ये सभी जनप्रतिनिधि बाकी मुद्दों की तरह टीकाकरण जैसे कार्यक्रमों को भी अपने राजनीतिक व सामाजिक एजेंडे में प्राथमिकता से लें तो बुंदेलखंड के चेहरे पर लगा यह दाग दूर किया जा सकता है। 
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