नैनीताल। नैनीताल की फेमस मॉल रोड की लोअर मॉल रोड पर अत्यधिक दबाव पड़ने के बाद एक बार फिर लंबी दरार उभरने से प्रशासन समेत लोनिवि की चिंता बढ़ गई है। यह दरार रविवार सायंकाल से दिखाई पड़ी। डामर का मसाला भरकर सोमवार को लोनिवि ने इन खिली हुईं दरारों को बंद करने की कोशिश की।
इससे पहले भी 18 अगस्त 2018 को इन खिली हुईं दरारों से चंद कदम दूरी पर लोअर मॉल रोड का एक हिस्सा टूटकर नैनी झील में गिर गया था। रविवार सायं उभरी यह दरार लगभग 6 फीट लंबी है और 1 से 2 इंच चौड़ी है। इसके अलावा भी कुछ हल्की दरारें देखी जा सकती हैं।
ग्रैंड होटल के ठीक नीचे आई इस दरार ने मॉल रोड के अस्तित्व पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। स्ट्रीट लाइट खंभा नंबर 171 के समीप इस दरार के अलावा कुछ अन्य दरारें भी देखी जा सकती हैं। पिछले 2 सालों के बाद इस साल नैनीताल में बेतहाशा पर्यटक पहुंचे और उन्हीं के अनुपात में यहां से गुजरने वाले वाहनों की संख्या भी बढ़ी। इसी बढ़े दबाव का यह परिणाम माना जा रहा है।
पिछली बार जब इस रोड का हिस्सा झील में समाया तो लोनिवि ने 23 लाख रुपए की मदद से इसको बांस के लट्ठों के सहारे वायरक्रेट डालकर बजरी से भरे जियो बैग और जीआई पाइप की मदद से कांक्रीट भरकर इसका ट्रीटमेंट किया था। इसके अलावा लोनिवि ने 80 लाख की स्वीकृति कर झील की तरफ से मजबूती प्रदान करने के लिए एक कार्ययोजना बनाई जिसका टेंडर भी हो गया है। लेकिन झील में पानी का लेवल बढ़ने से उसको क्रियान्वित किया जाना दिक्कत तलब होने से यह काम अभी रुका पड़ा है।
हालिया दरारें खिलने के बाद अब यह डर है कि मानसून शुरू होने के बाद दरारों से पानी रिसकर धरती के भीतर प्रवेश कर भूस्खलन की आशंका कहीं बहुत बढ़ा न डाले। ऐसे में मॉल रोड के इस हिस्से पर खतरा पैदा होने से शहरवासी भी डरे-सहमे हुए हैं। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार यह पूरा क्षेत्र ही भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र है और यहां मॉल रोड के ऊपर पड़ने वाला राजपुरा का हिस्सा भी खतरे की जद में है।
सूत्रों के अनुसार पूर्व के सालों में इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए लोनिवि ने इसके स्थायी ट्रीटमेंट के लिए 42 करोड़ की एक योजना शासन को भेजी थी लेकिन यह योजना अभी तक स्वीकृत ही नहीं हो पाई।
मॉल रोड के अलावा मल्लीताल मस्जिद चौराहे से राजभवन को जाने वाले मार्ग के किलोमीटर 1 पर भी दरार खिलने से यह मार्ग भी खतरे की चपेट में आ गया है। ठंडी सडक, जो कि तल्लीताल से मल्लीताल को झील के किनारे पाषाण देवी मंदिर होते हुए बनी है, में भी एसआर और केपी होस्टल के नीचे हो रहे भूस्खलन की सक्रियता मानसूनी बारिश से बढ़ गई है।
पिछले साल लोनिवि ने इसका अस्थायी उपचार 8 लाख 31 हजार की मदद से कराया था लेकिन इसमें 90 डिग्री का स्लोप बन जाने से यह ट्रीटमेंट रुक नहीं पा रहा है। इस क्षेत्र में पुन: भूस्खलन शुरू होने से अब इन दिनों इस काम को सिंचाई विभाग के सुपुर्द कर दिया गया है और ठंडी सड़क पर आवाजाही को पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया गया है।