नई दिल्ली। छात्र कार्यकर्ता नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तनहा गुरुवार को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिए गए। इससे कुछ घंटे पहले एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा साजिश मामले में तुरंत उनकी रिहाई का आदेश दिया था।
दो दिन पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत पिछले साल मई में गिरफ्तार नरवाल, कालिता और तनहा को जमानत दे दी थी। महानिदेशक (दिल्ली जेल) संदीप गोयल ने पुष्टि की है तीनों को रिहा कर दिया गया है।
जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कालिता और नरवाल को शाम 7 बजे और तनहा को साढ़े सात बजे रिहा किया गया। तीनों छात्र कार्यकर्ताओं के पते और मुचलके के सत्यापन में देरी के कारण जेल से उनकी रिहाई में देरी हो रही थी।
दिल्ली की एक अदालत ने तीनों की तुरंत रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि पुलिस द्वारा सत्यापन प्रक्रिया में देरी आरोपियों को जेल में रखने की स्वीकार्य वजह नहीं हो सकती। उच्च न्यायालय से जमानत लेने के बाद कार्यकर्ताओं ने जेल से तुरंत रिहाई के लिए निचली अदालत का रुख किया था।
विशेष दूत की टिप्पणी पर भारत का विरोध : भारत ने छात्र कार्यकर्ताओं नताश नरवाल एवं देवांगना कालिता को जेल भेजने के मामले पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत द्वारा चिंता व्यक्त करने पर गुरुवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि वह विशेषज्ञों से कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करने एवं उसके बारे में बेहतर समझ रखने की उम्मीद करता है।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की स्थिति पर विशेष दूत मैरी लावलोर ने बुधवार को ट्वीट किया था कि मैं डब्ल्यूएचआरडी नताशा नरवाल, देवांगला कालिता को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कल जमानत दिये जाने के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा निर्णय को चुनौती दिये जाने के कारण उनकी रिहाई नहीं होने की परेशान करने वाली खबर सुन रही हूं। उन्होंने कहा था कि वह सीएए विरोधी प्रदर्शन के मद्देनजर इन कार्यकताओं को जेल भेजे जाने को चिंताजनक मानती हैं।
इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि वह इस बारे में तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि मैं समझता हूं कि इसका संदर्भ वर्तमान में चल रही न्यायिक प्रक्रिया से है और हम संरा विशेष दूत से कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करने और उसके बारे में बेहतर समझ रखने की उम्मीद करते हैं। (भाषा)