देहरादून। उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ के केदारेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर केदारनाथ के कपाट खोलने की तिथि घोषित हुई। इसके अनुसार भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री केदारनाथ के कपाट 6 मई को प्रात: 6.25 पर अमृत बेला में खुलेंगे। ऊखीमठ से केदारनाथ की डोली 2 मई को केदारनाथ के लिए प्रस्थान करेगी। बद्रीनाथ के कपाट 8 मई को खुलने की तिथि बसंत पंचमी के दिन घोषित हो चुकी है।
भगवान शंकर के 11 ज्योतिर्लिंगों के रूप में प्रख्यात हिमालय में स्थित श्री केदारनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे जबकि श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि पूर्व में ही बसंत पंचमी के धार्मिक पर्व पर 8 मई निश्चित हो चुकी है।
महाशिवरात्रि के धार्मिक पर्व पर आज पंच केदार के गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओमकारेश्वर मंदिर में भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि वैदिक पूजा-अर्चना के साथ ही पारंपरिक रीति-रिवाज के तहत घोषित की गई। कपाट खुलने से पूर्व को पंच केदार के गधी स्थल उखीमठ स्थित ओमकारेश्वर मंदिर से केदार बाबा की डोली केदारनाथ के लिए प्रस्थान करेगी। इससे पूर्व प्रात: से ही पंच केदार के गद्दी स्थल ओमकारेश्वर मंदिर में भगवान ओमकारेश्वर की विशिष्ट पूजा-अर्चना संपन्न कर भगवान का रुद्राभिषेक किया गया।
इस अवसर पर भारी संख्या में लोगों ने मंदिर पहुंचकर जलाभिषेक कर भगवान शिव के दर्शनों का पुण्य लाभ अर्जित किया। कपाट खुलने की तिथि निश्चित करने के इस समारोह में केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग, केदारनाथ के धर्माधिकारी ओमकारेश्वर शुक्ला, पुजारी व वेदपाठीगणों द्वारा पंचांग गणना के बाद कपाट खुलने की तिथि व मुहूर्त निश्चित किया गया।
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गुलदार का परिवार घूम रहा, पकड़ से बाहर : उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में गुलदार की दहशत जारी है। कभी जंगलों तक सीमित रहने वाले गुलदार अब आबादी वाले क्षेत्रों में घूमते नजर आ रहे हैं। पौड़ी जिले के जिला अस्पताल की आवासीय कॉलोनी में गुलदार का परिवार घूम रहा है। बीते 16 फरवरी से अपने 2 शावकों के साथ घूम रही मादा गुलदार को अभी तक न ही पिंजरे में कैद किया गया है और न ही ट्रैंक्विलाइज किया जा सका है।
गुलदार को ट्रैंक्विलाइज करने के लिए पौड़ी आए वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों का कहना है कि कई कारणों से गुलदार शहरी क्षेत्र में आ रहे हैं जिसमें से गुलदार का मानवीय बस्ती की ओर आने का एक कारण गांवों का खाली होना है। इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों में छिपने के लिए जगह-जगह झाड़ियों का होना, शहरी क्षेत्र में जमा कूड़े से आसानी से भोजन मिल जाना भी गुलदार का आवासीय बस्ती की ओर आना कारण है। इसलिए उगी झाड़ियों को साफ कर देना चाहिए और आसपास कूड़ा नहीं फैलाना चाहिए।
पौड़ी में गुलदार के इस परिवार को पकड़ने को बीते रविवार की रात को टीम ने गश्त अभियान चलाया, लेकिन विशेषज्ञों की टीम को गुलदार कहीं भी नजर नहीं आया जिससे गुलदार व उसके शावक ट्रैंक्विलाइज नहीं हो पाए। गुलदार को ट्रैंक्विलाइज करने के लिए वन विभाग ने 4 टीमें बनाकर गश्त अभियान चलाया।
जिला अस्पताल की आवासीय कॉलोनी में बीती 16 फरवरी से एक मादा गुलदार अपने 2 शावकों के साथ दिखाई दे रही है। शहरी क्षेत्र में गुलदार दिखने के बाद से ही वन विभाग ने जिला अस्पताल की आवासीय कॉलोनी में पिंजरा लगाने के साथ ही ट्रैप कैमरे लगाए हैं। क्षेत्र में गुलदार के लगातार दिखने से लोग डरे हुए हैं। वे शाम होने से पहले ही घरों में कैद हो जाते हैं। गुलदार की आवाजाही बढ़ने पर वन विभाग ने गुलदार को ट्रैंक्विलाइजकरने के लिए राजाजी नेशनल पार्क से वाइल्डलाइफ पशु चिकित्सक राकेश नौटियाल व हरिद्वार डिवीजन से डॉ. अमित ध्यानी को बुलाया था। रविवार की रात को 4 टीमों ने गुलदार और शावकों की खोज की, लेकिन गुलदार कहीं भी नजर नहीं आया।