भोपाल। अगर घटना स्थल पर मौजूद लोगों को यह पता हो कि घटना के तुरंत बाद उन्हें क्या करना है तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। इस बात को ध्यान में रखकर ही आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं का संचालन करने वाली एशिया की सबसे बड़ी कंपनी जिकित्जा हेल्थकेयर लि. ने 'फर्स्ट रिस्पॉन्डर ट्रेनिंग प्रोग्राम' का आयोजन किया।
26 जनवरी को गणतंत्र के उपलक्ष्य में रखे गए इस अनूठे आयोजन में कंपनी द्वारा कई तरह की विशेष जानकारियां दी गईं। जिकित्जा हेल्थ केयर लि. के प्रोजेक्ट हेड जितेंद्र शर्मा ने बताया कि किसी भी घटना के बाद घायल के इलाज में समय बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस बात को ध्यान में रखकर हम लगातार फर्स्ट रिस्पॉन्डर ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन कर रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित कर यह बताया जा सके कि अगर उनके सामने कोई घटना हुई या कोई घायल है तो वे उसकी जान बचाने में किस तरह भूमिका निभा सकते हैं।
अब तक हम इस तरह के प्रोग्राम द्वारा मध्यप्रदेश में 4 लाख से ज्यादा लोगो को प्रशिक्षित कर चुके है। कंपनी के इन्हीं प्रयासों को देखते हुए प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा 108 एम्बुलेंस स्टाफ को कई क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने पर ट्रॉफी और प्रशंसा पत्र द्वारा सम्मानित किया गया है।
कंपनी द्वारा अलग-अलग शहरों के 55 स्थानों पर एक साथ यह जागरूकता कार्यक्रम रखा गया था। इनमें 15286 लोगों को प्रशिक्षित किया गया। जिसमें प्रमुख रूप से भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, रीवा झोन के लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।
कंपनी द्वारा द्वारा हर साल इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम रखे जाते हैं, जिसमें अलग-अलग उम्र के लोगों को फर्स्ट एड, दुर्घटना के दौरान बनने वाली स्थिति, मरीज को संभालने, पुलिस-प्रशासन को जानकारी देने, एंबुलेंस को बुलाने, परिजनों को जानकारी देने आदि जानकारी जिकित्जा हेल्थकेयर द्वारा दी जाती है।
अब तक 4 लाख से भी ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसमें स्कूल कॉलेज के विद्यार्थी, गृहिणियां, व्यापारी, युवा और बुजुर्ग शामिल हैं। प्रशिक्षकों ने बताया कि घायल हुए व्यक्ति के लिए घटना के बाद का एक घंटा 'गोल्डन ऑवर' साबित होता है।
गंभीर हालातों में घटना के तुरंत बाद अगर उसे सही दिशा में मदद देना शुरू की जाए या समय पर इलाज मिल पाए तो उसकी जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है। प्रशिक्षण के दौरान आम लोगों को फर्स्ट एड की तकनीक सिखाई जाती है और बताया जाता है कि वे किस तरह प्रभावित होने वाले लोगों की मदद कर सकते हैं।