किश्तवाड़ में 12 साल से गायब पूर्व आतंकी पकड़ा गया

सुरेश एस डुग्गर
बुधवार, 15 सितम्बर 2021 (17:16 IST)
जम्मू। कश्मीर पुलिस का दावा है कि राजधानी शहर श्रीनगर में बस 4 आतंकी ही बाकी बचे हैं जिनको हलाक करने के साथ ही श्रीनगर आतंकवाद मुक्त हो जाएगा। दूसरी ओर किश्तवाड़ पुलिस ने एक उस पूर्व आतंकी को पकड़ा है जो 12 साल से छुपा हुआ था।

कश्मीर के आईजी के विजय कुमार ने कश्मीर में संपन्न हुई ताइक्वांडो प्रतियोगिता के दौरान दौरान कहा कि श्रीनगर जिले में इस समय चार आतंकवादी सक्रिय हैं। इन चारों की शिनाख्त का काम जारी है। जल्द ही या तो यह चारों मुठभेड़ के दौरान मारे गिराए जाएंगे या फिर पकड़े जाएंगे।

आईजी विजय कुमार ने कहा कि श्रीनगर जिले में अब सक्रिय आतंकवादियों की गिनती चार के करीब ही रह गई है। हालांकि कश्मीर संभाग में अभी भी आतंकवादी सक्रिय हैं। श्रीनगर जिले में सक्रिय चार आतंकवादियों की जल्द ही शिनाख्त करने के उपरांत सबसे पहले उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा जाएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर वे चारों मुठभेड़ों के दौरान मारे जाएंगे या फिर उन्हें गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा।

दूसरी ओर किश्तवाड़ पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है। पिछले 12 सालों से गिरफ्तारी से बच रहे पूर्व आतंकवादी को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार करने के बाद आरोपी को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। जिसके बाद न्यायालय ने उसे पूछताछ के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आज से करीब 12 साल पहले पूर्व आतंकी नजीर अहमद निवासी बुद्धार बंजवाह के खिलाफ किश्तवाड़ थाने में हत्या की कोशिश करने का मामला दर्ज हुआ था। इससे पहले कि पुलिस उसे गिरफ्तार करती वह फरार हो गया था।

याद रहे किश्तवाड़ पुलिस ने इसी साल जुलाई में इसी तरह 13 साल से भगौड़े पूर्व आतंकी नईम अहमद निवासी ततानी किश्तवाड़ को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ भी अठोली पुलिस स्टेशन में हत्या की कोशिश करने का मामला दर्ज था।मामला दर्ज होने के बाद से ही वह फरार हो गया। करीब 13 साल बाद किश्तवाड़ पुलिस ने उसे किश्तवाड़ के शालीमार इलाके से गिरफ्तार किया था।

अपराधों के ग्राफ में वृद्धि : 5 अगस्त 2019 को जब जम्मू कश्मीर का बंटवारा कर यूटी बनाया गया था तो दावा किया गया था कि जम्मू कश्मीर में अब सभी प्रकार की हिंसा से भी मुक्ति मिल जाएगी, पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट कहती है कि जम्मू कश्मीर में 2019 की तुलना में 2020 में गंभीर अपराधों में 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख ने वर्ष 2020 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) या विशेष और स्थानीय कानूनों (एसएलएल) के तहत 29,314 (लद्दाख में 403 मामलों सहित) अपराध के मामले दर्ज किए गए। यह 2019 से 15 प्रतिशत की वृद्धि थी जब 25,408 अपराध की घटनाएं दर्ज की गईं, जो कि 2018 की तुलना में 6 प्रतिशत कम थी, जब 27,276 मामले दर्ज किए गए थे। रिपोर्ट में साल 2020 से ही लद्दाख के लिए अलग सेक्शन बनाया गया था।

जानकारी के लिए जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को 5 अगस्त 2019 को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था। जम्मू कश्मीर 2019 की शुरुआत से किसी न किसी तरह के प्रतिबंधों के अधीन रहा है, जब अनुच्छेद 370 के तहत इसकी विशेष स्थिति को समाप्त कर दिया गया था और इस क्षेत्र को जम्मू कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। जबकि वर्ष 2020 और 2021 में, कोविड महामारी के प्रकोप के कारण प्रतिबंध लगाए गए थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 2019 में 3,069 मामलों से लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो 2020 में 3,414 (लद्दाख में नौ सहित) हो गई। वर्ष 2019 में 2018 की तुलना में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 10 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जब 3,437 ऐसे मामले दर्ज किए गए।
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सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2020 में दहेज हत्या के नौ मामले, बलात्कार के 243 मामले, उनके पति या रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं के खिलाफ क्रूरता के 349 मामले, महिलाओं पर हमले के 1,639 मामले और महिलाओं की शील भंग करने के इरादे से मारपीट के 1,744 मामले सामने आए।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2020 में जम्मू और कश्मीर में 31 मामले दर्ज किए गए, यौन उत्पीड़न की 15 घटनाएं और काम पर यौन उत्पीड़न के तीन मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2019 में 119 के मुकाबले 2020 में 149 मामले दर्ज होने के साथ हत्या के मामलों में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वर्ष 2018 में 181 हत्या के मामले सामने आए।
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आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में हत्या के प्रयास के 487 मामले, आत्महत्या के लिए उकसाने के 35 और महिलाओं को आत्महत्या के लिए उकसाने के 24 मामले सामने आए। इस रिपोर्ट में आतंकी हिंसा के कारण हुई मौतों आदि को जगह नहीं दी गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के खिलाफ अपराधों में भी 2019 और 2018 में क्रमशः 470 और 473 मामलों की तुलना में 2020 में 606 घटनाओं के साथ लगभग 29 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।

इतना जरूर था कि वर्ष 2020 में आत्महत्या के प्रयास के 472 मामले भी थे। जबकि केंद्र शासित प्रदेश में अपहरण के मामलों में पिछले तीन वर्षों से गिरावट देखी जा रही है। वर्ष 2018 में 1,137 मामलों से, 2019 में अपहरण और अपहरण के मामले गिरकर 961 हो गए और 2020 में घटकर 868 हो गए।

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