गणेश जी का हर अंग देता है हमें खास संदेश
विघ्न हरता। बुद्धि प्रदायक।मंगल मूर्ति। रिद्धि सिद्धि के दाता और न जाने कितने असंख्य नाम से जाने वाले गणों के देव गणपति का दस दिवसीय उत्सव शहर में शबाब पर रहेगा।
कहीं सबसे बड़ा पंडाल, सबसे बड़ी मूर्ति, गणेशजी को स्थापित करने के साथ-साथ अपने अपने आप को स्थापित करने की कोशिश। राजनीति के रंग को स्थापीत करने की होड़ लगी है। इस उत्सव का कारण पूछने पर सब निरुत्तर हो जाते हैं।
गणपति जी की मूर्ति अपने आप मे एक संदेश देती है। क्यों आता है गणपति इस उत्सव के माध्यम से इस कलयुग में क्या संदेश देना चाहते हैं? थोड़ा समझें। पुरानी मान्यताएं जो आज भी हैं कि जब वर्षा ऋतु के बाद नदियों के तट वर्षाजल से स्वच्छ हो जाते हैं। उस वक्त कुम्हार की रोजी-रोटी का साधन गणेशजी कि मूर्तियां बनती हैं। वो मूर्त जिसका एक-एक अंग की बनावट एक संदेश देती है।
बड़ा मस्तक बड़ी सोच के साथ कार्य, बड़े कान हर बात को ध्यान से सुनना, छोटी आंखे गहराई से देखना, छोटा मुंह कम बोलना। मतलब विशाल बुद्धि से सोचना फिर पूरी तरह बात सुन पैनी नजर से देखना एवं शब्दों का कम उपयोग कर कार्य करना। चार भुजाओं वाली चारों दिशा की सोच यानी हर दिशा हर वर्ग का ध्यान रखना।
अंधन को आंख देत... : अन्धन को आंख देत कोढ़िन को काया...आध्यात्मिक संदेश को मानव सेवा से जोड़ने के संकल्प के साथ बनी कृष्णगुरुजी सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा अभियान की रूप रेखा तैयार की गई, जो दस दिवसीय गणेश के उत्सव में होगा,। जैसे जहां-जहां गणपति पंडाल लगेंगे, वहां-वहां आरती के पहले आरती का महत्व बताएंगे। नेत्रदान की जागरूकता फैलाकर 11000 से नेत्रदान के फॉर्म भरवाएंगे।
इसके साथ ही अंधाश्रम एवं कुष्ठ आश्रम जाकर आवश्यक चीज मुहैया कराएंगे एवं कृष्ण गुरुजी द्वारा डिवाइन एस्ट्रो हीलिंग दे मानसिक शांति ध्यान करवाएंगे। नगर निगम डॉक्टर नटवर ने शहर के 50 मुक्ति धाम में नेत्रदान के फॉर्म रखवाने की बात की, जिसमें आयोजक संस्था के सर्वप्रिय बंसल ने उनका वेतन देने की बात की
। केंद्रीय जेल में भी नेत्रदान शिविर लगाया जाएगा।
समाजसेवी रंजन रानडे ने इस मानव सेवा मुहिम का स्वागत कर मार्गदर्शित किया एवं जहां-जहां गणेश पंडाल लगेंगे वहां संस्था के लोग आरती के पहले अपना मानवता का संदेश सुनाएंगे। यह अभियान गत वर्ष भी चला था, जिसमें इंदौर, दिल्ली, बेंगलोर, पूना, फरीदाबाद, दुबई में भी सेवा कार्य हुआ था। इस बार इंदौर में सभी प्रमुख संस्थाओं एवं समाजसेवियों की सेवा ली जा रही है।
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