नूंह। NuhViolence : हरियाणा के नूंह (Nuh) में हुई हिंसा का नुकसान उठाने वाले हिंदू और मुसलमानों का दावा है कि इस क्षेत्र में 1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से इतने बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक झड़पें नहीं देखी गईं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पार्टी हिंसा भड़काने के लिए या तो हिन्दू अधिकार समूह या स्थानीय मुस्लिम नेताओं को जिम्मेदार ठहरा रही है। इस हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई थी और कई दुकानों को आग लगा दी गई थी।
जलाभिषेक यात्रा का आयोजन करने वाली विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) का दावा है कि हंगामा कुछ राष्ट्र-विरोधी लोगों ने किया था और उन्होंने यात्रा में बाधा पहुंचाई थी।
विहिप के एक वरिष्ठ सदस्य ने आरोप लगाया कि स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने लोगों को अशांति पैदा करने के लिए उकसाया।
दूसरी ओर, एक स्थानीय निवासी श्रीकिशन ने हिंसा भड़काने के लिए प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि यात्रा को व्यवस्थित करने के लिए शुरुआत में बहुत कम पुलिसकर्मी थे।
श्रीकिशन ने कहा कि धार्मिक यात्रा में शामिल होने वालों ने झड़प होने से कुछ घंटे पहले उत्तेजित भाषण दिए थे। मौके पर कम पुलिसकर्मी थे। प्रशासन और पुलिस बहुत बाद में हरकत में आई, तब तक हिंसा शुरू हो चुकी थी।
उन्होंने कहा कि मैं 65 साल का हूं और मैंने 1992 के बाद ऐसी हिंसा नहीं देखी है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया कि यह हिंसा स्थानीय मुस्लिम नेताओं के उकसावे पर हुई थी।
बंसल ने कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम का मसला नहीं है। आपराधिक मानसिकता वाले कुछ राष्ट्र-विरोधी लोग हमारे समुदाय को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने अशांति फैलाई।
विश्व हिन्दू परिषद की यात्रा पर सोमवार को भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद मुस्लिम बहुल नूंह में हुई झड़प में दो होमगार्ड और एक इमाम सहित 6 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद हिंसा पड़ोस के गुरुग्राम में भी फैल गई थी।
नूंह निवासी डालचंद ने कहा कि क्षेत्र के लोग हिंसा से व्यथित हैं जिसने उनकी आजीविका को प्रभावित किया है।
श्रमिक के रूप में काम करने वाले डालचंद ने कहा कि जब मुझे हिंसा के बारे में पता चला तो मैं मेवात में काम पर था। मैं बाद में नूंह लौट आया, लेकिन मुझे अब भी उस दिन (सोमवार) के पैसे नहीं मिले हैं। मेरे पास एक वक्त का खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं।
एक अन्य स्थानीय निवासी जावेद ने दावा किया कि वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से नूंह में कोई सांप्रदायिक झड़प नहीं हुई है, और यदि प्रशासन धार्मिक यात्रा के बारे में अधिक सतर्क होता तो हिंसा को भड़कने से रोका जा सकता था।
जावेद ने दावा किया कि प्रशासन को इस यात्रा के लिए पर्याप्त उपाय करने चाहिए थे। मैंने नूंह में 1992 के बाद से इस पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे नहीं देखे हैं। इसने पूरे जिले को प्रभावित किया है।
नूंह में फल का ठेला लगाने वाले वारिस खान ने कहा कि हिंसा के बाद से इलाके के लोग डरे हुए हैं।
वारिस ने कहा कि हम सभी डरे हुए हैं। कुछ लोग आए और तोड़फोड़ की और सब कुछ जला दिया और अब उनकी वजह से नूंह में हर कोई प्रभावित है।
सब्जी बेचने वाले एक अन्य स्थानीय निवासी सादिर हुसैन ने कहा कि इस घटना ने उन्हें ना केवल मानसिक रूप से, बल्कि आर्थिक रूप से भी प्रभावित किया है।
हुसैन ने बताया कि दुकानें अब भी बंद हैं। कोई काम नहीं होने के कारण हम सभी परेशान हैं। हिंसा के कारण हम सभी पीड़ित हैं। मेरे परिवार के सदस्य पूरी घटना के बाद से डर के साए में जी रहे हैं।
पुलिस ने किया फ्लैग मार्च : हरियाणा के अधिकारियों ने हिंसा प्रभावित नूंह जिले में विध्वंस अभियान के तहत तीसरे दिन शनिवार को दर्जनों अवैध ढांचे ढहा दिए। अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ ढांचे कथित रूप से हाल की हिंसा में शामिल लोगों के भी थे। भाषा Edited By : Sudhir Sharma