बंगाल में हाईकोर्ट ने कई वर्गों का OBC दर्जा किया रद्द, अब तक के लाभार्थी नहीं होंगे प्रभावित

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 22 मई 2024 (23:35 IST)
High Court cancels OBC status of several classes in Bengal : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में कई वर्गों का ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) दर्जा रद्द कर दिया और राज्य की नौकरियों में रिक्तियों के लिए 2012 के एक अधिनियम के तहत इस तरह के आरक्षण को अवैध पाया।
 
अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती : विभिन्न वर्गों को यह दर्जा 2010 में दिया गया था। अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य यदि पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी।
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याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने कहा कि 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में ओबीसी के तहत सूचीबद्ध लोगों की संख्या पांच लाख से ऊपर होने का अनुमान है। अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) कानून, 2012 के तहत ओबीसी के तौर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वाले कई वर्गों को संबंधित सूची से हटा दिया।
 
निर्देश भावी प्रभाव से लागू होंगे : पीठ ने निर्देश दिया कि पांच मार्च, 2010 से 11 मई, 2012 तक 42 वर्गों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने वाले राज्य के कार्यकारी आदेशों को भी रद्द कर दिया गया। पीठ के अनुसार निर्देश भावी प्रभाव से लागू होंगे। न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि 2010 से पहले ओबीसी के 66 वर्गों को वर्गीकृत करने वाले राज्य सरकार के कार्यकारी आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया गया, क्योंकि इन्हें याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गई थी।
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आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना के जरिए राज्य सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण के लिए विभिन्न वर्गों को शामिल करने की अनुमति देने वाले 2012 अधिनियम के एक खंड को भी रद्द कर गया। पीठ ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की राय और सलाह आमतौर पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के तहत राज्य विधानमंडल के लिए बाध्यकारी है।
 
रिपोर्ट विधायिका के समक्ष रखने का निर्देश : पीठ ने राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को आयोग के परामर्श से ओबीसी की राज्य सूची में नए वर्गों को शामिल करने या शेष वर्गों को बाहर करने की सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट विधायिका के समक्ष रखने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति मंथा द्वारा लिखे गए फैसले से सहमति जताते हुए न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने कहा, सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता की अवधारणा किसी व्यक्ति से संबंधित है, चाहे वह व्यक्ति सामान्य वर्ग से हो या पिछड़े वर्ग से।
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उन्होंने कहा, आरक्षण से संबंधित मानदंडों के उचित पालन में बड़े पैमाने पर समाज की हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा कि कानून के शासन का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए और अधिकारियों के हाथों इसका उल्लंघन नहीं होने दिया जा सकता। पीठ ने आदेश पर रोक लगाने के राज्य के अनुरोध को खारिज कर दिया। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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