मथुरा : ब्रज में 45 दिनी होली महोत्सव की शुरुआत, बांकेबिहारी मंदिर में जमकर बरसा गुलाल-अबीर

हिमा अग्रवाल
मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021 (20:37 IST)
मथुरा में वसंत ऋतु का धूमधाम से स्वागत किया गया। वसंत पंचमी पर ब्रज में भगवान बांकेबिहारी ने भक्तों के साथ होली खेलकर होली महोत्सव की शुरुआत की। ठाकुर बांकेबिहारी के चरणों में नमन करके भक्तों पर मंदिर में जमकर गुलाल-अबीर बरसा। ठाकुरजी का अबीर रूपी प्रसाद पाकर भक्त मस्ती में झूमते हुए भाव-विभोर हो गए। 
 
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक ब्रज में आज से लगभग 45 दिन के होली के पर्व का आरंभ हो गया है। मथुरा-वृंदावन के सभी प्रमुख मंदिरों में भगवान के चरणों में अर्पित गुलाल उड़ाया जाता है और होली के मनमोहक गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। विश्वविख्यात बांकेबिहारी मंदिर में बसंत-पंचमी पर्व पर होली का नजारा बेहद खूबसूरत होता है। भले ही अभी होली में अभी 40 दिन का समय शेष है, लेकिन ब्रजवासियों पर होली की खुमारी आज से ही चढ़ने लगी है।
 
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक ब्रज में बसंत ऋतु के आगमन के साथ होली का स्वागत किया जाता है। बांकेबिहारी के साथ शुरू होने वाली होली का समापन ब्रज के राजा और कृष्ण के बड़े भाई के साथ खेले जाने वाले हुरंगा के साथ होता है।
हिन्दू परंपरा के अनुसार वसंत पंचमी की सुबह सबसे पहले मंदिर में श्रृंगार आरती होती है और उसके बाद मंदिर के सेवायत पुजारी भगवान बांकेबिहारी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस पर्व की विधिवत शुरुआत करते हैं, उसके बाद जमकर पुजारी गुलाल उड़ाते हैं और मंदिर प्रांगण में ठाकुरजी के भक्त इस मनभावन पल के गवाह बनते हुए खुशी से झूमने लगते हैं। 
 
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में होली की विधिवत प्रारंभ होने के बाद यहां चारों तरफ गुलाल ही गुलाल नजर आता है। प्रांगण में मौजूद श्रद्धालू भी भगवान बांकेबिहारी के साथ होली खेलने के इस पल का आनंद उठाते नजर आते हैं और एक-दूसरे पर भी जमकर गुलाल लगाते हैं। 
 
भगवान बांकेबिहारी के साथ होली खेलने आए भक्तगणों के मुख की आभा देखने लायक होती है, भक्तगण कह उठते हैं कि अपने आराध्य के दर्शन और होली खेलने के बाद वह धन्य हो गए। ब्रज में होली का जो आनंद है वह और कहीं देखने को नहीं मिलता।

इस मनोहरी छटा को देखने के लिए अपने देश के कोने-कोने से तो लोग आते हैं। विदेशी भक्त भी इस होली को मन में बसाकर अपने देश ले जाते हैं। मथुरा और वृंदावन की गलियों में होली तक लोकगीत और मंदिरों में अबीर के साथ बांकेबिहारी के भक्ति गायन सुनने का आनंद मिलेगा। 

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