जहर देने से नहीं हुई पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की मौत

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चेन्नई। जे. जयललिता की मौत पर लगातार उठ रहे सवालों के बीच लंदन स्थित विशेषज्ञ रिचर्ड बेअले, अपोलो अस्पताल प्रबंधन और सरकारी डॉक्टरों ने जहर से मौत होने के कारण के सिरे से खारिज करते हुए कहा कि न तो उनके इलाज और न ही उनके निधन में ‘कोई साजिश’ या रहस्य है।
चेन्नई के एक होटल में सरकार की तरफ से आयोजित कराए गए संवाददाता सम्मेलन में बेअले और दसरे सरकारी डॉक्टरों को कई तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। ये संवाददाता सम्मेलन पिछले वर्ष 22 सितंबर को अपोलो अस्पताल में जयललिता के भर्ती कराए जाने और बाद में उनके निधन को लेकर उठ रहे सवालों के बीच स्थिति को साफ करने के लिए आयोजित किया गया था।
 
सवाल करने वाले एक शख्स ने डॉक्टर बेअले से कहा कि उनका जवाब ‘संतोषजनक’नहीं है। इस पर डॉक्टर ने आश्चर्य जताया। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने करियर में इस तरह के कई मामले देखे हैं लेकिन ये पहला मौका है जब उन्हें इलाज के बारे में सफाई देनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि जयललिता को जब उनके घर से लाया गया तो वह होश में थीं और इलाज की प्रक्रिया ‘पूरी तरह से सही’थी।
 
जयललिता को 4 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने के बाद पांच दिसंबर को रात को साढ़े ग्यारह बजे अपोलो अस्पताल में मृत घोषित किया गया था। डॉक्टर ने कहा, ‘ये सबके सामने पड़ा दिल का दौरा था।’दुनिया भर में गहन चिकित्सा विशेषज्ञ के तौर पर प्रख्यात बेअले ने कहा कि जयललिता को जब अपोलो अस्पताल में होश में लाया गया था तो उन्हें संक्रमण था और संक्रमण के स्रोत का पता नहीं था।
 
बेअले ने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री को कभी वेंटिलेटर पर रखा गया तो कभी जरूरत के हिसाब से उसे हटाया गया। बुखार और शरीर में पानी की कमी के बाद अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद वो अकसर बात भी करती थीं।
 
बेअले के साथ मद्रास मेडिकल कॉलेज के पी बालाजी और अपोलो अस्पताल के डॉक्टर के बाबू भी थी, जिन्होंने उन चुनावी पर्चों पर हस्ताक्षर किए थे, जिन पर जयललिता के अंगूठों के निशान लिए गए थे। ये पिछले साल दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए भरे जाने वाले नामांकन पत्रों के लिए था।
 
बेअले ने कहा कि अन्नाद्रमुक नेता को सबसे अच्छा इलाज दिया गया और अपनी लंबी बीमारी के दौरान कई दिनों तक वो लगातार होश में भी थी।
 
उन्होंने कहा, ‘इलाज के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई वो बिल्कुल स्पष्ट थी। इसमें कोई साजिश नहीं थी। कुछ भी ऐसा नहीं हुआ जो असामान्य था। उन्हें जहर दिए जाने का कोई सवाल ही नहीं। मुझे नहीं पता कि ये बातें कहां से सामने आईं लेकिन जिस किसी को भी गहन चिकित्सा केंद्र में होने वाले काम की समझ है तो वो ये जानता होगा कि ये कितना बचकाना सवाल है।’ ‘ये स्पष्ट था कि बीमारी की क्या प्रक्रिया है। इसके बारे में कोई रहस्य नहीं।’ (भाषा)
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