खजुराहो एयरपोर्ट बंद होने की कगार पर

Webdunia
- कीर्ति राजेश चौरसिया
 
खजुराहो। खजुराहो में इन दिनों बड़ा संकट हावी है। वजह यहां का 90 करोड़ रुपए की लागत से बना नया टर्मिनल। बदहाली की मार झेलता विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो का इंटरनेशनल मानक स्तर का एयरपोर्ट है।
 
खजुराहो के इस सुसज्जित एयरपोर्ट पर फिलहाल आर्थिक संकट हावी है। नए टर्मिनल निर्माण में सेंट्रल गवर्नमेंट ने भले ही 90 करोड़ खर्च कर दिए हों लेकिन इसकी क्षमता के मुताबिक अब तक विमानन सेवाएं नहीं बढ़ाई गई हैं। अगर यही हाल रहा तो भविष्य में प्रदेश का तीसरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंद किया जा सकता है। लगभग 20 वर्षों से घाटे में चल रहे एयरपोर्ट के प्रति माननीयों की अनदेखी भारी पड़ रही है। 
 
देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और आतंकवाद जैसे मुद्दे को लेकर आने वाले समय में खजुराहो में जल्द ही 7 देशों का ब्रिक्स सम्मेलन किया जाने वाला है। देश की तरक्की के लिए यह भले ही सुखद माना जाए लेकिन खजुराहो के पर्यटन व्यवसाय और यहां की सुविधाओं पर जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
 
दरअसल, खजुराहो एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा मिलने के बाद वर्ष 2007 में एयरपोर्ट के विस्तारण का काम शुरू किया था। लगभग 7 वर्षों के निर्माण कार्य के बाद खजुराहो के इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम पूर्ण कर 23 जनवरी 2016 में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का शुभारंभ कर दिया गया। बावजूद आलम यह है कि एयरपोर्ट को इंटरनेशनल फ्लाइटों की दरकार है।
 
राजधानी भोपाल और महानगर इंदौर के बाद पर्यटन स्थल खजुराहो में मध्यप्रदेश के तीसरे इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण तकरीबन 90 करोड़ की लागत से किया गया है।
 
 1,400 वर्गमीटर में तैयार इस इंटरनेशनल स्तर के हवाई अड्डे में 500 पैसेंजरों के बैठने की सुविधा है। आलीशान तरीके से बने एयरपोर्ट में अत्याधुनिक रेस्टोरेंट, TR, बुक स्टॉल के साथ ही देशी-विदेशी सैलानियों के लिए ATM की सुविधा भी दी गई है। 
 
बावजूद शुभारंभ के 5 माह बीतने के बाद भी अब तक यहां एक भी अतिरिक्त जहाज को लाने और सुविधानुसार आय में वृद्धि के प्रयास नहीं किए गए हैं, वहीं एयरपोर्ट प्रबंधन का मानना है कि यदि इसी तरह उपेक्षा की गई तो लगातार घाटे में जा रहे इस एयरपोर्ट को बंद ही करना पड़ेगा।
 
नागरिक उड्डयन मंत्रालय को लगभग ढाई वर्ष से पत्राचार कर एयरपोर्ट की आर्थिक स्थिति की जानकारी दी जा रही है, पर दुर्भाग्य है कि खजुराहो जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्थल को कोई तवज्जो नहीं दे रहा। 
 
केके शर्मा, कंट्रोलर, खजुराहो एयरपोर्ट का कहना है कि पर्याप्त सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एयरपोर्ट में प्रतिमाह लगभग 20 लाख रुपए की बिजली खपत है, जबकि इतनी आय उपलब्ध नहीं है। अब यदि इस तरह लगातार घाटे में गया तो निश्चित ही यह बंद हो जाएगा। 
 
 
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