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लेह में आगजनी और हिंसा, सोनम वांगचुक ने 15 दिन से चल रही हड़ताल वापस ली

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

लेह , बुधवार, 24 सितम्बर 2025 (21:40 IST)
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर जारी आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल बुधवार को वापस ले ली। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और कई वाहनों में आग लगा दी और सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। लद्दाख की राजधानी में पूर्ण बंद के बीच आग की लपटें और काला धुआं देखा जा सकता था।
 
अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने 5 या इससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। वांगचुक ने आंदोलन स्थल पर बड़ी संख्या में एकत्र अपने समर्थकों से कहा कि मैं लद्दाख के युवाओं से हिंसा तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं क्योंकि इससे हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचता है तथा स्थिति और बिगड़ती है। हम लद्दाख और देश में अस्थिरता नहीं चाहते।
 
जैसे ही झड़पें तेज हुईं, वांगचुक ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर एक वीडियो संदेश भी जारी किया, जिसमें उन्होंने युवाओं से शांति का माहौल बनाये रखने और हिंसा रोकने की अपील की। लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की युवा शाखा ने विरोध प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया था क्योंकि 10 सितंबर से 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत मंगलवार शाम बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 
संविधान की छठी अनुसूची शासन, राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों के प्रकार, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और स्वायत्त परिषदों के माध्यम से प्रयोग की जाने वाली वित्तीय शक्तियों के संदर्भ में विशेष प्रावधान करती है। छठी अनुसूची चार पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम की जनजातीय आबादी के लिए है।
 
गृह मंत्रालय और लद्दाख के प्रतिनिधियों, जिनमें एलएबी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्य शामिल हैं, के बीच 6 अक्टूबर को वार्ता का एक नया दौर निर्धारित है। दोनों संगठन पिछले चार वर्षों से अपनी मांगों के समर्थन में संयुक्त रूप से आंदोलन कर रहे हैं और अतीत में सरकार के साथ कई दौर की वार्ता भी कर चुके हैं।
 
अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शन के आह्वान पर लेह शहर में बंद रहा और एनडीएस स्मारक मैदान में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए तथा बाद में छठी अनुसूची और राज्य के समर्थन में नारे लगाते हुए शहर की सड़कों पर मार्च निकाला। उन्होंने बताया कि स्थिति तब और बिगड़ गई जब कुछ युवकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हिल काउंसिल के मुख्यालय पर पथराव किया। उन्होंने बताया कि शहरभर में बड़ी संख्या में तैनात पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
 
युवाओं के समूहों ने एक वाहन और कुछ अन्य वाहनों में आग लगा दी, और भाजपा कार्यालय को भी निशाना बनाया। उन्होंने परिसर और एक इमारत में मौजूद फर्नीचर और कागजात में आग लगा दी।
 
स्थिति पर नजर रख रहे अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल पर अतिरिक्त बल भेजा गया और कई घंटों की भीषण झड़प के बाद स्थिति पर काबू पाया गया। लगभग चार महीने तक रुकी रही वार्ता के बाद, केंद्र ने 20 सितंबर को एलएबी और केडीए को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। मंगलवार को त्सेरिंग अंगचुक (72) और ताशी डोल्मा (60) की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसके बाद तनाव बढ़ गया। इससे एलएबी के घटकों में चिंता पैदा हो गई और उन्होंने केंद्र से बातचीत को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
 
पूर्व सांसद एवं एलएबी के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग, जिन्होंने 27 मई को अंतिम दौर की वार्ता के बाद निकाय से इस्तीफा दे दिया था, पुनः अध्यक्ष पद पर आसीन हो गये हैं और वार्ता के दौरान उनके संयुक्त प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की संभावना है।
 
कांग्रेस ने एलएबी से बाहर होने का फैसला तब किया जब कुछ घटकों ने यह विचार व्यक्त किया कि अगले महीने ‘लेह हिल काउंसिल’ के चुनावों के मद्देनजर एलएबी प्रतिनिधिमंडल को गैर-राजनीतिक होना चाहिए। केडीए ने भूख हड़ताल पर बैठे लोगों के साथ एकजुटता दिखाने तथा वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए दबाव बनाने के वास्ते गुरुवार को करगिल में पूर्ण बंद का आह्वान किया था।

अरब स्प्रिंग जैसे विरोध प्रदर्शन की इच्छा 
सूत्रों ने सवाल किया कि जब बातचीत खुले मन से तय की गई थी, तो हिंसा किसके फायदे के लिए भड़काई गई? 
सूत्रों ने कहा कि सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख में 'अरब स्प्रिंग' जैसे विरोध प्रदर्शन की इच्छा जताते रहे हैं। नेपाल में जेनरेशन जेड के विरोध प्रदर्शनों का उनका संदर्भ अब एक ब्लूप्रिंट जैसा लगता है। क्या उन्होंने इस मंच का इस्तेमाल अपने निजी मुद्दों को छिपाने के लिए किया है ताकि अब सामने आ रही कुछ गड़बड़ियों को छिपाया जा सके? एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma

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