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97 वर्षीय गांधीवादी विचारक जसवंतराय ‘भाईजी’ का इंदौर में निधन

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* गांधी विचार का एक और पुंज लुप्त हो गया
 
इंदौर। सर्वोदय जगत में ‘भाईजी’ के नाम से प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक जसवंत राय का बुधवार, 23 अगस्त 2017 को सुबह देहांत हो गया। वे 97 वर्ष के थे। 
 
उन्होंने जीवनभर सत् साहित्य का प्रचार करते हुए समाज की सेवा की। भाईजी के सुपुत्र एवं विसर्जन आश्रम के मंत्री अशोक खुराना ने बताया कि मरणोपरांत उनकी इच्छा के अनुसार एमवाय अस्पताल के लिए देहदान किया जाएगा। उनके निधन पर गांधीवादी संस्थाओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
 
जसवंतराय भाईजी मूलत: सिन्ध प्रांत के रहने वाले थे। युवावस्था में वे महात्मा गांधी के आव्हान तथा धीरेन्द्र मजूमदार की पुस्तक से प्रभावित होकर ग्राम सेवा की ओर बढ़े और विनोबाजी के भूदान विचार से प्रभावित हुए और उनके आंदोलन के साथ जुड़ गए। दादा भाई नाइक के संपर्क में आने के बाद वे नरसिंहपुर में समग्र ग्राम सेवक के रूप में काम करने लगे। 
 
इसके बाद वे चरखा संघ से जुड़े। मध्यप्रदेश में भूदान कार्यालय का काम संभाला तथा वहीं से प्रकाशित 'साम्य योग पत्रिका' का संपादन भी किया। जब सन् 1960 में विनोबा भावे इंदौर आए, तब उनके साथ नगर अभियान में शामिल हुए। बाद में विनोबा भावे ने विसर्जन आश्रम की स्थापना की, तब भाईजी को आश्रम व्यवस्था का कार्य सौंपा गया था। 
 
बाद में भाईजी की रुचि सर्वोदय साहित्य के प्रचार में रही जिसकी जिम्मेदारी भी उन्होंने संभाली। उनके प्रयासों से घरों में सर्वोदय साहित्य पहुंचा। भाईजी ने लगभग 2 दशक तक सर्वोदय साहित्य भंडार का संचालन किया।
 
जीवन के उत्तरार्द्ध में भाईजी महात्मा गांधी द्वारा वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में पहुंचे और वहां स्वावलंबन जीवन के प्रयोग किए। उन्होंने अपना जीवन सत्य के प्रयोग पर निर्मित किया। वे आखिरी तक चैतन्य रहकर अध्ययन में संलग्न रहे। 
 
नगर की सर्वोदय विचार संस्थाओं विसर्जन आश्रम के अध्यक्ष डॉ. करुणाकर त्रिवेदी, गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के समन्वयक कुमार सिद्धार्थ, खादी मिशन के पुष्पेंद्र दुबे, जीवनशाला के किशोर भाई गुप्ता ने उनके निधन पर हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि गांधी विचार का एक और पुंज लुप्त हो गया है। (सप्रेस)

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