मुंबई। मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह अपनी ड्यूटी के तहत भारतीय सेना को खुफिया सूचनाएं पहुंचाने के लिए साजिशकर्ताओं की बैठक में शामिल हुआ था।
उच्च न्यायालय की पीठ पुरोहित की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें उसने मामले में अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को रद्द करने का अनुरोध किया है। महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर रखे गए बम में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग घायल हो गए थे।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने पुरोहित पर आतंकरोधी कानूनों के तहत मामला दर्ज किया था। पुरोहित की वकील नीला गोखले ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ को बताया कि वह (पुरोहित) सेना तक खुफिया सूचनाएं पहुंचाने के लिए इन बैठकों में हिस्सा ले रहे थे।
गोखले ने कहा कि पुरोहित महज अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे थे इसलिए एनआईए को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति हासिल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 197 (दो) के तहत सैन्य बलों के सदस्यों द्वारा किसी भी अपराध के खिलाफ केंद्र सरकार की पूर्व की अनुमति के बाद ही मुकदमा चलाया जा सकता है।
गोखले ने भारतीय सेना और मुंबई पुलिस के पूर्व संयुक्त आयुक्त हिमांशु राय से मिले दस्तावेजों का संदर्भ देते हुए कहा कि गोपनीय सूचना मुहैया कराने के लिए पुरोहित की सराहना भी की गई थी।
पुरोहित ने अपनी दलील में कहा, मैं इन दस्तावेजों का जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं अपना फर्ज निभा रहा था। इन समूहों के बीच पैठ बनाकर मैं अपने वरिष्ठों को गुप्त सूचनाएं भेजा करता था और इस कार्य के लिए मुझे जेल में डाल दिया गया, मुझे यातना दी गई और मुझे आतंकवादी बताया गया।
पिछले साल सितंबर में पुरोहित ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर मामले में अपने खिलाफ सभी लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करने का अनुरोध किया था। पुरोहित को मामले में 2009 में गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय की पीठ आगे दो फरवरी को मामले में दलीलें सुनेगी।(भाषा)