नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को कहा कि वे उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ विचार-विमर्श के बाद अगले सप्ताह अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। साथ ही उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा करने और भाजपा के साथ गठबंधन में अगला चुनाव जीतने का भी भरोसा जताया।
राष्ट्रीय राजधानी के दौरे पर आये शिंदे ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपने पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे के मध्यावधि चुनाव कराने के आह्वान को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य सरकार मजबूत है और 288 सदस्यीय विधानसभा में उसे 164 विधायकों का समर्थन है, जबकि विपक्ष के पास सिर्फ 99 विधायक हैं।
एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को यहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। शिंदे और फडणवीस शनिवार शाम पंढरपुर के रास्ते पुणे के लिए रवाना हुए, जहां मुख्यमंत्री आषाढ़ एकादशी के अवसर पर भगवान विट्ठल की पूजा करेंगे।
शिंदे और फडणवीस ने 30 जून को पदभार ग्रहण किया था। उससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों के विद्रोह के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
महाराष्ट्र के दोनों नेताओं ने शुक्रवार देर रात गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और माना जा रहा है कि शाह के साथ चर्चा भाजपा एवं शिवसेना के शिंदे गुट के साथ सत्ता साझेदारी फार्मूले के इर्द-गिर्द केंद्रित रही।
संवाददाता सम्मेलन में जब फडणवीस से उपमुख्यमंत्री पद पर उनकी पदावनति को लेकर सवाल किया गया, तो भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने केवल अपनी पार्टी के निर्देशों का पालन किया।
2014-2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे फडणवीस ने कहा कि मेरी पार्टी ने मुझे मुख्यमंत्री बनाकर मुझे और बड़ा बनाया। बड़ा दिल होने का सवाल नहीं है। मैंने अपनी पार्टी के निर्देशों का पालन किया।
फडणवीस ने कहा कि मैं शिंदे के साथ हूं। मैं मुख्यमंत्री रहा हूं और मैं जानता हूं कि मुख्यमंत्री ही नेता (सदन) होता है। हम शिंदे के नेतृत्व में काम करेंगे। हमारा पहला उद्देश्य इस सरकार को सफल बनाना है। शिंदे ने उद्धव ठाकरे को बतौर मुख्यमंत्री अपदस्थ कर शिवसेना को धोखा देने संबंधी आरोपों को खारिज किया।
उन्होंने कहा कि हम बाला साहेब ठाकरे के आदर्शों का अनुसरण कर रहे हैं। उन्होंने (ठाकरे) हमे अन्याय के खिलाफ खड़ा होना सिखाया। यह दलबदल नहीं है। यह एक क्रांति है। सभी विधायक स्वेच्छा से मेरे साथ जुड़े। शिंदे ने यह भी दावा किया कि वे ही वास्तविकशिवसेना के नेता हैं और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने भी उनके धड़े को मान्यता दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने शिवसेना की स्वाभाविक सहयोगी भाजपा से हाथ मिलाने के अनुरोध के साथ कम से कम तीन या चार बार उद्धव ठाकरे को मनाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें समझाने में असफल रहे। शिंदे ने भाजपा का भी बचाव किया, जिसे अक्सर राज्यों में सत्ता में आने के लिए किसी भी हद तक जाने के आरोपों का सामना करना पड़ता है।
शिंदे ने कहा कि भाजपा के पास 115 विधायक हैं और लोगों को महाराष्ट्र में भाजपा का मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद थी। लोग कहते हैं कि भाजपा सत्ता में आने के लिए अन्य दलों को तोड़ती है। मेरे पास 50 विधायक हैं। क्या लोग अब भी भाजपा के बारे में यही बात कह सकते हैं? वे नहीं कह सकते। मेरे जैसे एक छोटे कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है।