Joshimath : जोशीमठ में एक हफ्ते से दरारों वाले भवनों की संख्या में नहीं हुई बढ़ोतरी

एन. पांडेय
गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023 (23:40 IST)
जोशीमठ। जोशीमठ में बीते एक हफ्ते से दरारों वाले भवनों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई है। दरार ग्रस्त भवनों की संख्या अभी तक 863 बनी हुई है। इनमें से 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित हैं। जेपी परिसर जोशीमठ में पानी का रिसाव 540 एलपीएम से घटकर गुरुवार सुबह 17 एलपीएम हो गया है।

जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण चमोली द्वारा जोशीमठ नगर क्षेत्र में भू-धंसाव को लेकर जारी दैनिक रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा की दृष्टिगत जिला प्रशासन वर्तमान में 243 परिवारों के 878 सदस्यों को विभिन्न सुरक्षित स्थानों पर अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है, जबकि 53 परिवारों के 117 सदस्य अपने रिश्तेदारों व किराए पर चले गए हैं।

जिला प्रशासन द्वारा जोशीमठ नगर क्षेत्र के अंतर्गत निवास करने योग्य अस्थाई राहत शिविरों के रूप में 91 स्थानों में 661 कक्षों का चिह्नीकरण कर लिया गया है, जिसमें 2957 व्यक्तियों को ठहराया जा सकता है। वहीं नगर पालिका क्षेत्र जोशीमठ के बाहर पीपलकोटी में अस्थाई राहत शिविरों के रूप में 20 भवनों के 491 कमरों को चयनित किया गया है, जिसमें कुल 2205 लोगों को ठहराया जा सकेगा।

राहत कार्यों के तहत जिला प्रशासन द्वारा अब तक 862 प्रभावितों को 448.42 लाख रुपए की धनराशि वितरित की जा चुकी है। प्रभावितों को अब तक 1743 खाद्यान्न किट, 2244 कंबल व 1550 लीटर दूध, 164 हीटर व ब्लोवर, 143 डेली यूज किट, 48 जोड़ी जूते, 150 थर्मल वियर, 175 हॉट वॉटर बॉटल, 700 टोपी, 280 मौजे, 250 शॉल, 263 इलेक्ट्रिक कैटल एवं 3516 अन्य सामग्री पैकेट का वितरण राहत सामग्री के रूप में किया जा चुका है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरंतर प्रभावितों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है जिसके तहत राहत शिविरों में रह रहे 1339 से अधिक लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। प्रभावित क्षेत्रों में 122 पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण और 200 पशु चारा बैग का वितरण किया गया।

जिला मजिस्ट्रेट चमोली द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 33 व 34 का प्रयोग करते हुए नगर क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या 1, 4, 5 व 7 के अंतर्गत आने वाले अधिकांश क्षेत्रों को असुरक्षित घोषित करते हुए इन वार्डों को खाली करवाया गया है। शीतलहर को देखते हुए नगर पालिका जोशीमठ क्षेत्र अंतर्गत 20 स्थानों पर नियमित रूप से अलाव जलाए जा रहे हैं। राहत शिविरों में प्रभावित लोगों के लिए हीटर भी उपलब्ध कराए गए हैं।

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