नोटबंदी ने तोड़ी नक्सलियों की कमर, 80 करोड़ हुए बर्बाद

Webdunia
रविवार, 1 जनवरी 2017 (19:31 IST)
रांची। नोटबंदी के चलते झारखंड में माओवादियों समेत सभी नक्सलियों की कमर ही टूट गई है और खुफिया सूचनाओं के अनुसार उनके कम से कम 80 करोड़ रुपए तक केंद्र सरकार के इस निर्णय के चलते बर्बाद हो गए हैं और वे बौखलाए हुए हैं।
 
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके मलिक ने एक विशेष साक्षात्कार में यहां बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले वर्ष 8 नवंबर को 500 और 1,000 के पुराने नोटों का चलन बंद करने के फैसले का राज्य में चल रहे नक्सलवाद के खात्मे पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ा है और खुफिया सूचनाओं के अनुसार उनकी कम से कम 80 करोड़ रुपए की नकदी बर्बाद हो गई है।
 
मलिक ने बताया कि लगभग पूरा का पूरा अर्थतंत्र बर्बाद हो जाने से नक्सलियों की कमर टूट गई है और बौखलाहट में वे कथित विचारधारा की लड़ाई छोड़कर नकदी लूटने की फिराक में हैं लेकिन सरकार ने उनकी किसी भी साजिश को नाकाम करने के लिए पुख्ता तैयारी कर रखी है।
 
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि एक खुफिया अध्ययन के अनुसार 3 वर्ष पूर्व नक्सलियों की राज्य में लेवी की पूरी कमाई लगभग 140 करोड़ रुपए थी, जो पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षाबलों की कार्रवाई और विकास कार्यों के चलते घटकर लगभग 100 करोड़ रुपए तक रह गई है।
 
उन्होंने बताया कि खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री के 8 नवंबर के फैसले के चलते 1 वर्ष के खर्चे के लिए रखी गई माओवादियों एवं अन्य नक्सली संगठनों की लगभग 100 करोड़ रुपए की नकदी खराब हो गई। 
 
सूचनाओं के अनुसार बाद में अपने सदस्यों एवं सहयोगियों की मदद से एवं गरीब, किसानों तथा ग्रामीणों को डरा-धमकाकर माओवादी एवं अन्य नक्सली लगभग 20 करोड़ रुपए तक के ही पुराने नोट, नए नोटों से किसी तरह बदलवा पाए। 
 
मलिक ने बताया कि सरकार की सख्ती के चलते नक्सली अधिक पुरानी नकदी, नए नोटों से नहीं बदल सके। खुफिया रिपोर्ट्स मिल रही हैं कि वे अब बैंक, डाकघरों की नकदी, गाड़ियां लूटने की योजना बना रहे हैं लेकिन सरकार ने इस स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी कर रखी है जिससे कि उनकी यह मंशा पूरी न हो सके। 
 
उन्होंने कहा कि आज नक्सलियों का कोई सिद्धांत नहीं रह गया है और वे सिर्फ अवैध वसूली के धंधे में लगे हैं जिससे उनका मूल ढांचा छिन्न-भिन्न हो गया है और सुरक्षाबलों को उनके खिलाफ लगातार सफलता मिल रही है तथा सभी नक्सलियों का अपना तंत्र नकदी आधारित होता है जिसके चलते बड़े नोटों में रखा उनका नकदी बर्बाद हो जाने का उनके कामकाज पर बहुत बुरा असर हुआ है।
 
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पुराने नोट बंद किए जाने के बाद किसी न किसी के माध्यम से नक्सलियों द्वारा जबरन पुराने नोट बैंकों के माध्यम से बदलवाने की कोशिश की लगभग 100 घटनाएं राज्य में हुई होंगी लेकिन इनमें राष्ट्रविरोधी ताकतों को विशेष सफलता नहीं मिल सकी।
 
उन्होंने बताया कि झारखंड में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने बीते वर्ष जोरदार अभियान चलाया और कुल 1,546 विशेष अभियानों में 37 नक्सलियों को मार गिराया जबकि इस दौरान 35 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
 
उन्होंने बताया कि आज हालात यह है कि माओवादियों को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए गरीब ग्रामीणों को जबरन अपने गिरोह में शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जिससे आम लोगों में उनके खिलाफ प्रतिक्रिया बढ़ रही है तथा राज्य के दूरदराज के इलाकों में विकास कार्यों में भी तेजी आने से झारखंड में माओवादियों के कार्यक्षेत्र में व्यापक कमी आई है जिससे वे झारखंड से अपना बोरिया-बिस्तरा बटोरने में जुट गए हैं।
 
मलिक ने दावा किया कि झारखंड में सुरक्षाबल पूरी तरह नक्सल केंद्रित कार्रवाई चला रहे हैं जिससे अब राज्य में ऐसा कोई इलाका नहीं बचा है जिसे नक्सली अपने कब्जे का इलाका बता सकें। सभी इलाकों में सुरक्षाबल और पुलिस की पहुंच है जिससे आम लोगों में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। (भाषा) 
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