भुवनेश्वर। कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 महामारी के बीच 2 चक्रवातों और बाढ़ ने 2021 में जहां ओडिशा के धैर्य की परीक्षा ली, वहीं खेल के क्षेत्र में राज्य के प्रयासों से भारत को गौरवान्वित होने का क्षण भी प्राप्त हुआ। इस तरह ओडिशा के लिए यह वर्ष खट्टी-मीठी यादों में बस गया।
यह वर्ष जितना उथल-पुथल भरा था, उतना ही यह भारत की जीत के उत्साह से सराबोर था। ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार द्वारा प्रायोजित भारत की पुरुष हॉकी टीम ने चार दशक बाद टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया। टीम के खिलाड़ियों का नायक के रूप में स्वागत किया गया। इन खिलाड़ियों में कुछ ओडिशा के दूरदराज इलाके के भी थे।
महिला हॉकी टीम ने भी ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन वह कांस्य से वंचित रह गई। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दोनों ही टीम का पूरा समर्थन किया। उन्होंने घोषणा की कि खेल ओडिशा के आदिवासी क्षेत्रों में जीवन का एक तरीका है, जहां बच्चे हॉकी स्टिक के साथ चलना सीखते हैं।
जैसे-जैसे वर्ष आगे बढ़ा, राज्य के लिए गौरव के और भी क्षण सामने आए। बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता और इसके साथ ही यह तटीय राज्य भारत के खेल केंद्र के रूप में उभरा। मुख्यमंत्री ने खेल गतिविधियों के लिए बजट बढ़ाने के अलावा देश को गौरवान्वित करने वाले सभी खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार देने की घोषणा की।
पटनायक ने वर्ष के दौरान, महामारी से प्रभावित आबादी के लिए (स्मार्ट हेल्थ कार्ड से लेकर वित्तीय पैकेज तक) कई तरह की छूट की घोषणा की, क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर ने अन्य राज्य की तरह ही ओडिशा में आर्थिक गतिविधियां थाम ली थीं। छह हजार से अधिक लोग कोरोना महामारी से जिंदगी की लड़ाई हार गए। इतना ही नहीं, बड़ी संख्या में लोग इस महामारी के शिकार हुए, जबकि प्रशासन स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और टीकाकरण अभियान को तेज करने के लिए जूझ रहा था।
कोविड से तबाह हुई अर्थव्यवस्था के लिए आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील की निवेश योजना राहत बनी। आर्सेलर मित्तल ने एक लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश पर 24 एमटीपीए एकीकृत इस्पात संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। इस परियोजना से 1.6 लाख लोगों के लिए रोजगार पैदा होने की उम्मीद जगी है।
नियमित पेरशानी का सबब बन चुके चक्रवात ने तटीय राज्य ओडिशा में इस वर्ष दो बार बड़े पैमाने पर दस्तक दी। चक्रवात यस और जवाद ओडिशा के तटों से टकराए। शुक्र है कि चक्रवात 'जवाद' ने पुरी के तट पर पहुंचते-पहुंचते अपनी रफ्तार खो दी, लेकिन इसकी वजह से तटीय क्षेत्र में भारी बारिश हुई।
राजनीतिक मोर्चे पर दो हत्या के मामलों पर विरोध और रैलियों की एक श्रृंखला की अनुगूंज विधानसभा में भी सुनी गई। सरकार को पहले मानसून सत्र के दौरान और फिर शीतकालीन सत्र में विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा।
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता कुलमणि बराल और उनके सहयोगी दिब्यसिंह बराल की हत्या में कानून मंत्री प्रताप जेना शामिल थे, जबकि सत्तारूढ़ बीजद ने इस आरोप से इनकार किया। साल के अंत में एक स्कूल की शिक्षका के अपहरण और हत्या का मामला देशभर के अखबारों और अन्य संचार स्रोतों की सुर्खियों में छाया, जब पीड़िता के अवशेष उस संस्थान के परिसर में दफन पाए गए, जहां वह काम करती थी।
गृह राज्यमंत्री डीएस मिश्रा के मामले में मुख्य आरोपी को बचाने का आरोप लगाया गया था और भाजपा और कांग्रेस ने उनका तत्काल इस्तीफा मांगा था। पटनायक ने अपने मंत्रिमंडल से उन्हें हटाने से इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री को इसके लिए विरोध का सामना करना पड़ा और पुरी में भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन पर अंडे फेंके।
इस वर्ष एक और विषय चर्चा का केंद्रबिंदु रहा और वह था ओडिशा का आंध्र प्रदेश के साथ अंतरराज्यीय सीमा पर गांवों के एक समूह को लेकर विवाद। आंध्र के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने ओडिशा का दौरा किया और पटनायक के साथ रणनीति बनाकर किसी भी परेशानी को समाप्त करने के लिए इस मामले को सुलझाया।
बालासोर में रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) में एक जासूसी मामले ने सुरक्षा प्रतिष्ठान में खतरे की घंटी बजा दी। एक उच्चस्तरीय जांच की गई और पांच कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया।(भाषा)