पटना। पटना उच्च न्यायालय ने बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह को उनके आवास से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक बरामद होने के मामले में बुधवार को बरी कर दिया।
न्यायमूर्ति चंद्र शेखर झा ने सिंह की एक चुनौती याचिका पर यह फैसला सुनाया। पटना की एक निचली अदालत ने चार साल पुराने इस मामले में सिंह को दस साल के जेल की सजा सुनायी थी। पूर्व विधायक ने निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
पूर्व विधायक के अधिवक्ता सुनील कुमार ने कहा कि हमने तर्क दिया कि सिंह को उस परिसर से आपत्तिजनक वस्तुओं की बरामदगी के लिए दोषी ठहराया गया था जहां वह नहीं रह रहे थे। अब हमें उम्मीद है कि हमारे मुवक्किल जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि सिंह को उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है।
संन्यासी से कैसे बाहुबली बना अनंत सिंह : नब्बे के दशक में अनंत सिंह का परिवार भले ही बिहार में अपराध की दुनिया के साथ चुनावी राजनीति में तेजी से आगे बढ़ रहा हो लेकिन चार भाईयों में सबसे छोटा अनंत सिंह इन सबसे दूर वैराग्य लेकर पटना से कोसों दूर हरिद्धार में साधु बन ईश्वर की आरधना में लीन हो गया था।
लेकिन कहते है न कि होइहि सोइ जो राम रचि राखा..अनंत सिंह के जीवन पर उक्त लाइन एकदम सटीक बैठती है। सियासी अदावत में अनंत सिंह के बड़े भाई बिरंची सिंह की दिनदहाड़े हत्या कर दी जाती है। भाई की हत्या की खबर सुनकर अनंत सिंह का खून खौल उठता है और भाई के हत्यारों को मौत के घाट उतारने के लिए वह वापस बिहार लौटता है और अपने भाई की हत्या का बदला ले लेता है।
भाई के हत्यारे को मौत के घाट उतारने के साथ ही अनंत सिंह ने अपराध की दुनिया का बेताज बदशाह बढ़ने की ओर अपने कदम बढ़ा दिए और वह देखते ही देखते बिहार की राजनीति में भूमिहारों का सबसे बड़ा चेहरा बन बैठा।
इसके बाद तो अनंत सिंह के नाम का डंका बजने लगा। अपराध की दुनिया में अनंत सिंह के अपराध की अनंत कथाएं पुलिस की फाइलों में एक के बाद दर्ज होनी शुरू हो गई है। बेहद शातिर, चालाक अनंत सिंह देखते ही देखते अपराध की दुनिया का बेताज बदशाह बन गया है। उसको न तो पुलिस का खौफ था और न ही कानून का डर। उसके खिलाफ 38 आपराधिक मामले दर्ज है।
राजनीति में अनंत सिंह की एंट्री : अपराध की दुनिया में अनंत सिंह का बढ़ता कद अब बिहार के सबसे बड़े बाहुबली नेता सूरजभान को खटकने लगा था। सूरजभान उस बाहुबली नेता का नाम था जिसने साल 2000 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह को मोकामा सीट से मात दी थी। विधायक बनने के बाद 2004 में सूरजभान बलिया सीट से सांसद बन गया। सूरजभान के सांसद बनने के बाद अब अनंत सिंह पर पुलिसिया प्रेशर बढ़ने लगा। 2004 में बिहार एसटीएफ ने अनंत सिंह के घर को घेर कर उसका एनकाउंटर करने की कोशिश की लेकिन अनंत सिंह बच निकला।
अनंत सिंह अब तक इस बात को अच्छी तरह जान चुका था कि सूरजभान से मुकाबला करने के लिए उसको राजनीति के मैदान में उतरना ही पड़ेगा जिसके बाद वह साल 2005 के चुनाव में पहली बार मोकामा सीट से नीतीश की पार्टी जेडीयू के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरा और अपराधी से माननीय विधायक जी बन गया।
अनंत सिंह का विधायक बनना और फिर नीतीश कुमार का सत्ता में आना, मानो अनंत सिंह के लिए मुंह मांगी मुराद पूरी होने जैसा था। सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक बनने के बाद उसके अपराधों की रफ्तार और तेजी से बढ़ती गई। इसके बाद 2010 में फिर अनंत सिंह फिर जेडीयू के टिकट पर मोकामा से चुनाव जीत गया। पुलिस की फाइलों का दुर्दांत अपराधी अनंत सिंह अब छोटे सरकार के नाम से पहचाने जाना लगा था। मोकामा के लोगों के लिए अनंत सिंह दादा बन कर और गरीबों के मसीहा यानि रॉबिनहुड बन बैठे।
बाहुबली अनंत सिंह मोकामा विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं। जेल चुनाव लड़ते हुए आरजेडी के उम्मीदवार अनंत सिंह ने बड़ी जीत हासिल करते हुए जेडीयू उम्मीदवार राजीव लोचन नारायण सिंह को 20,194 मतों से हराया। फिलहाल वे लोकसभा चुनाव में NDA उम्मीवार का समर्थन कर रहे हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta