विधानसभा बैठकों में विधायकों की रूचि कम होना दुर्भाग्यपूर्णः राष्ट्रपति

ललित भट्‌ट
देहरादून। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विधायकों द्वारा विधानसभाओं में वक्त न देने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उनका कहना है कि विभिन्न सम्मेलनों में प्रदेश विधानसभाओं को न्यूनतम 100 दिन के सत्र चलाने की आवश्यकता बल दिया जा रहा है। ऐसा प्रदेश की की आकांक्षाओं के अनुरूप लोगों की समस्याओं के निवारण के लिए जरूरी है।
 
भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को उत्तराखण्ड विधानसभा के इतिहास में पहली बार यहां विधानसभा को सम्बोधित किया। इससे पहले राष्ट्रपति अरूणाचलप्रदेश, मेघालय और उत्तर प्रदेश विधानसभा में अपना सम्बोधन दे चुके हैं।
 
16वीं लोकसभा का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 90 दिन के सत्र में 55 सरकारी विधेयक पारित किए जाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि पिछले कई सत्रों के बजाए इस सत्र में 7 घंटे 4 मिनट ही व्यवधान आया।
 
उन्होंने उत्तराखण्ड विधानसभा से उम्मीद जताई कि वह अपनी बैठकों की संख्या यानि सत्रों में ईजाफा कर प्रदेश की जनता की सेवा में दिलचस्पी दिखाएगी। उन्होंने विधानसभाओं में सार्वजनिक एवं विधायी प्रणाली के लिए संग्रहालय स्थापित कर इनके जरिए छात्रों एवं नौजवानों के सत्रों का आयोजन कर क्षमता दक्षता कार्यक्रम भी ग्रामसभा से लेकर लोकल बाडीज के प्रतिनिधियों के लिए चलाने चाहिए।
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