जम्मू कश्मीर में गणतंत्र दिवस पर आतंकी हमलों का खतरा

सुरेश डुग्गर
जम्मू। जम्मू कश्मीर में गणतंत्र दिवस की तैयारियों में अब राज्य के प्रत्येक कस्बे की घेराबंदी को भी शामिल कर लिया गया है। विशेषकर कश्मीर घाटी के प्रत्येक कस्बे और जम्मू व श्रीनगर जैसे राजधानी शहरों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन चिंता में डूबने लगा है, जबकि गणतंत्र दिवस के नजदीक आते ही जम्मू कश्मीर दोहरे खतरे से सहमने लगा है। यह खतरा सिर्फ पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर ही नहीं है, बल्कि राज्य के भीतर भी आतंकी हमलों का खतरा सुरक्षाबलों के साथ-साथ आम लोगों की नींद हराम करने लगा है।
 
श्रीनगर शहर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बात को मानें तो अब यह सब गणतंत्र दिवस की तैयारियों के हिस्से बन चुके हैं तथा सुरक्षाबलों को अलर्ट रहने के लिए इसलिए कहा गया है, क्योंकि आतंकवादी 27 सालों की तरह इस बार भी अपनी उपस्थिति को दर्ज करवाने के लिए कुछ भी बड़ा कर सकते हैं।
 
इस प्रकार की गणतंत्र दिवस तैयारियां, जिसे स्थानीय नागरिक घेराबंदी के रूप में ले रहे हैं, कैसी हैं इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि सिर्फ श्रीनगर शहर में अन्य सुरक्षाबलों के अतिरिक्त केंद्रीय रिजर्व पुलिसबल की और आठ कंपनियों को तैनात कर दिया गया है, जबकि पहले से ही अकेले श्रीनगर शहर में 12 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। 
 
हालांकि कश्मीरी जनता के लिए यह पहली बार सुखद अनुभव है कि घर-घर तलाशी अभियानों में स्थानीय पुलिस भी शामिल है। श्रीनगर शहर में आजकल सड़क चलते लोगों को रोककर उनकी जामा तलाशी लेने, पहचान परेड के लिए रोकने आदि के कार्य अनवरत रूप से जारी है। विशेषकर उस बख्शी स्टेडियम के आसपास यह सबसे अधिक है जहां गणतंत्र परेड होनी है तथा जिसे आतंकी गुट उड़ाने की धमकी दे रहे हैं। 
 
इतना जरूर है की बख्शी स्टेडियम के आसपास के इलाकों-बटमालू, मगरमल बाग, सराय बाला, महाराज बाजार और जम्मू के एमएएम स्टेडियम के आसपास के इलाकों में रहने वालों के लिए जिन्दगी नर्क बन चुकी है। जिन्हें कई बार रात के अंधेरे में भी पहचान परेड और तलाशी के लिए भीषण ठंड में जैसे हैं वैसे के आधार पर घरों से बाहर आना पड़ता है। बख्शी स्टेडियम के आसपास के लिंक रोडों को बंद किया जाने लगा है। एमएएम स्टेडियम के आसपास के इलाकों में सुरक्षाबल अपना कब्जा जमा चुके हैं।
 
राह चलते लोगों की जामा तलाशी और पहचान परेड का नतीजा है कि अधिकतर लोग 26 जनवरी तक घरों से बाहर निकलना पसंद ही नहीं करते और अगर मजबूरी हो तो वे अपने निर्धारित समय से कई घंटे पहले ही निकल पड़ते हैं। तलाशी में कितना समय बर्बाद होगा कोई नहीं जानता, महाराज बाजार का जावेद अहमद कहता था तो इन सब पर जम्मू के एक पुलिस अधिकारी का कहना था, हम कोई खतरा मोल नहीं ले सकते।
 
इस बीच अधिकारियों के मुताबिक, पाक सेना एलओसी पर भारतीय सीमा चौकिओं पर कब्जे तथा सैनिक गश्ती दलों पर हमलों के लिए एक बार फिर बार्डर एक्शन टीमों को सक्रिय कर चुकी है। वे कहते हैं कि मिलने वाली सूचनाओं के मुताबिक, 26 जनवरी के आसपास ऐसे हमलों में तेजी इसलिए आ सकती है क्योंकि पाकिस्तान राज्य में दहशत फैलाना चाहता है। याद रहे पाकिस्तान की बार्डर एक्शन टीमों द्वारा पहले भी कई बार एलओसी और इंटरनेशनल बार्डर पर कई हमलों को अंजाम दिया जा चुका है जिसमें भारतीय सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
 
सुरक्षाधिकारी कहते हैं कि ऐसे ही आदेश आतंकियों को जम्मू कश्मीर के कई शहरों में तबाही मचाने के लिए दिए गए हैं। नतीजन सुरक्षा तैयारियों से आम नागरिक बुरी तरह से त्रस्त हो रहे हैं जिन्हें भीषण ठंड के बीच तलाशी अभियानों को सहन करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि जम्मू कश्मीर में गणतंत्र दिवस को लेकर शुरू हुई उल्टी गिनती आम नागरिकों को भी दहशतजदा किए हुए है। इस दहशत को सुरक्षाबलों की अचानक छापेमारी और तलाशी अभियान और दहशतजदा बना रहा है।
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