Law college student raped: साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज (Law College) के अधिकारियों ने 24 वर्षीय छात्रा (24 year old student) से सामूहिक बलात्कार के 3 आरोपियों को संस्थान से निष्कासित कर दिया है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इस बीच कोलकाता पुलिस ने बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने को कानून का गंभीर उल्लंघन बताया और ऐसा करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी जारी की।
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कॉलेज से निष्कासित किए गए लोगों में मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा भी शामिल है, जो कॉलेज में तदर्थ संकाय सदस्य के रूप में कार्यरत था। मिश्रा को कॉलेज के छात्र एवं सह-आरोपियों जैब अहमद और प्रोमित मुखर्जी के साथ गिरफ्तार किया गया और 1 जुलाई तक पुलिस हिरासत में रिमांड पर भेजा गया है।
तृणमूल कांग्रेस के विधायक अशोक कुमार देब की अध्यक्षता में कॉलेज की शासी निकाय की बैठक के बाद कॉलेज ने मिश्रा की सेवाएं समाप्त करने और 2 छात्रों को निष्कासित करने की घोषणा की। देब ने संवाददाताओं से कहा कि मिश्रा की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया गया है और दो अन्य छात्रों को तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया जाएगा। कॉलेज परिसर की सुरक्षा के लिए नियुक्त सुरक्षा एजेंसी को भी कारण बताओ नोटिस भेजा जाएगा।
सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार की मजबूत मांग उठी : कॉलेज प्रशासन की ओर से यह कार्रवाई कॉलेज परिसर में हुई कथित घटना को लेकर बढ़ते जनाक्रोश के बीच की गई है जिसके कारण जवाबदेही और परिसर में सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार की मजबूत मांग उठी। कॉलेज के उप-प्राचार्य के अनुसार मिश्रा को लगभग 45 दिन पहले अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था।
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कॉलेज के रिकॉर्ड से पता चलता है कि मिश्रा पहले संस्थान का छात्र था और 2013 में उसका दाखिला हुआ था। उसी साल कालीघाट थाना क्षेत्र अंतर्गत चेतला ब्रिज पर एक युवक को चाकू मारने के आरोप में उसे संस्थान से निकाल दिया गया था। मिश्रा उस समय पुलिस की पहुंच से गायब हो गया था, लेकिन 2017 में वह फिर से सामने आया और कॉलेज में दोबारा दाखिला लिया, जहां से वह 2022 में उत्तीर्ण हुआ। वह तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद (टीएमसीपी) से भी जुड़ा था और पूर्व छात्रों के अनुसार कॉलेज के भीतर उसका काफी दबदबा था।
संस्थान के एक पूर्व छात्र टिटस मन्ना ने स्थानीय समाचार चैनल को बताया कि दिसंबर 2016 में उस पर कॉलेज परिसर में तोड़फोड़ करने के लिए बाहरी लोगों की भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप लगा था। घटना के सिलसिले में कस्बा थाने में प्राथमिकी और जवाबी प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन किसी अज्ञात कारण से मामले वापस ले लिए गए।
सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी जारी : इस बीच कोलकाता पुलिस ने पीड़ित छात्रा की पहचान उजागर करने का प्रयास करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी जारी की। पुलिस ने बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने को कानून का गंभीर उल्लंघन बताया। मंगलवार को जारी परामर्श में कहा गया है कि यह संज्ञान में आया है कि कुछ व्यक्ति गोपनीय दस्तावेजों के प्रसार या अन्य तरीकों से कस्बा मामले में पीड़िता की पहचान उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं। यह कानून का गंभीर उल्लंघन है।
कोलकाता पुलिस ने चेतावनी दी कि सीधे या परोक्ष रूप से पीड़िता की पहचान उजागर करने वाले दस्तावेज, चित्र या सोशल मीडिया सामग्री सहित कोई भी सामग्री साझा करना संबंधित कानूनी प्रावधानों के तहत दंडनीय है। सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए पुलिस के बयान में कहा गया है कि ऐसे कृत्यों में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ संबंधित प्रावधानों के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लोगों को सख्ती से सलाह दी जाती है कि वे ऐसी कोई भी जानकारी साझा नहीं करें जिससे कि पीड़िता की पहचान उजागर हो।
छात्रों और वकीलों का प्रदर्शन
मंगलवार को कॉलेज के छात्रों ने परिसर में सुरक्षा व्यवस्था मजूबत किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। छात्रों ने कॉलेज के समक्ष तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया और इस दौरान नारेबाजी भी की। प्रदर्शनकारियों ने कॉलेज की संचालन समिति में व्यापक सुधारों की जरूरत को भी रेखांकित किया।
छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में 2 छात्रों को कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया जबकि मुख्य आरोपी के रूप में चिन्हित एक संविदा कर्मचारी की सेवा को समाप्त कर दिया है। प्रदर्शन कर रहे एक छात्र ने कहा कि इस घटना में शामिल लोगों के लिए हमारे कॉलेज में कोई जगह नहीं हो सकती।
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि ये लोग लॉ कॉलेज की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कॉलेज परिसर में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए एक छात्रा ने कहा कि हमारे माता-पिता हमें इस भरोसे के साथ कॉलेज भेजते हैं कि प्रशासन हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। लेकिन इसके बदले हमें क्या मिला? प्रदर्शनकारियों ने कॉलेज में एक निष्पक्ष संचालन निकाय के गठन और उसमें छात्र प्रतिनिधियों को शामिल करने की भी मांग की।
मुख्य आरोपी मनोजित मिश्रा, जो कॉलेज में एक संविदा कर्मचारी था, संस्थान से निष्कासित किए गए लोगों में शामिल है। मिश्रा के साथ आरोपी जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें एक जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है, वहीं अलीपुर अदालत के करीब 100 वकीलों ने भी अदालत परिसर में मार्च निकालकर आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग की।
अखिल भारतीय वकील संघ (एआईएलयू) की अलीपुर इकाई से जुड़े वकीलों ने अदालत परिसर में नारेबाजी की और घटना की निंदा की, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधि प्रकोष्ठ के सदस्यों ने अलीपुर अदालत बार एसोसिएशन को पत्र सौंपा जिसमें सामूहिक बलात्कार के आरोपियों की पैरवी न करने की अपील की गई।
भाजपा अधिवक्ता मंच की ओर से सुब्रतो सेनगुप्ता ने कहा कि यह जघन्य अपराध राज्य की छवि पर धब्बा है। महिला सुरक्षा को लेकर कड़ा संदेश देना जरूरी है। शर्म की बात है कि मुख्य आरोपी एक वकील है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि मिश्रा को वकील का लाइसेंस कैसे मिला जबकि उसके खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। (भाषा) Edited by: Ravindra Gupta