31 अक्टूबर करीब आते ही जम्मू-कश्मीर में फिर अफवाहों का बाजार गर्म, लोग राशन जमा करने लगे

सुरेश एस डुग्गर
मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019 (17:22 IST)
जम्मू। जम्मू-कश्मीर को 2 टुकड़ों में बांटकर 2 केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की प्रक्रिया 31 अक्टूबर को संपन्न होने जा रही है। इस दिन जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के उपराज्यपाल श्रीनगर व लेह में शपथ भी लेंगे। इस दिन को लेकर जम्मू-कश्मीर में अफवाहों का जबरदस्त बाजार गर्म है।
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इस बार सबसे ज्यादा अफवाहें जम्मू संभाग में हैं, जो लोगों को दहशतजदा कर रही हैं। हालांकि कश्मीर में भी अफवाहें राज करने लगी हैं। लोग 31 अक्टूबर के पहले राज्य में फिर से बेमियादी कर्फ्यू लगाए जाने तथा सभी प्रकार के संचार संसाधनों पर रोक लगाए जाने की अफवाहों से चिंतित हैं।
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दरअसल, ये चर्चाएं आम हैं कि कश्मीर में मंगलवार रात से कर्फ्यू लगा दिया जाएगा। जम्मू में भी कल बुधवार, 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक कर्फ्यू लगा दिए जाने की चर्चा है। फिलहाल ऐसी चर्चाओं को अधिकारी सिर्फ अफवाहें ही बता रहे हैं लेकिन लोगों में दहशत का आलम यह है कि कई क्षेत्रों में भंडारण के लिए खरीदारी भी आरंभ चुकी है।
 
इस संवाददाता ने सोमवार को कई सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया और पाया कि ऐसी अफवाहें पाकिस्तानी बॉर्डर तक पहुंच चुकी हैं। कई लोगों ने बताया कि लोगों से राशन एकत्र करने को कहा जा रहा है। चिंताजनक बात इन अफवाहों के प्रति यह थी कि कोई भी लोगों की आशंकाओं को दूर करने की पहल नहीं कर रहा था।
 
सबसे बड़ी अफवाह संचार माध्यमों पर एक बार फिर प्रतिबंध लगाए जाने की है। इस बार की अफवाह में पूरे जम्मू-कश्मीर में मोबाइल तथा लैंडलाइन फोन बंद कर दिए जाने की चर्चा है। ब्रॉडबैंड भी क्या बंद हो जाएगा, कोई नहीं जानता।
 
हालांकि दूरसंचार विभाग के अतिरिक्त प्राइवेट मोबाइल ऑपरेटरों के अधिकारियों से हुई बातचीत से ऐसा कुछ होता प्रतीत नहीं हो रहा था लेकिन 4 व 5 अगस्त की रात के अनुभव को देखते हुए सभी का कहना था कि कुछ ऐसा हो जाए तो बड़ी बात नहीं है।
 
जानकारी के लिए कश्मीर में 75 दिनों के बाद पोस्टपेड मोबाइल फोन पर घंटी बंद हुई थी और 2 महीनों के बाद लैंडलाइन फोन बहाल हुए थे। सिर्फ कश्मीर ही नहीं, बल्कि जम्मू संभाग के अन्य जिलों में भी मोबाइल फोन सेवा 75 दिनों के बाद ही बहाल हो पाई थी, पर अभी तक पूरी राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगा हुआ है जिसका परिणाम यह है कि यह प्रतिबंध 'डिजिटल इंडिया' के नारे को चिढ़ा रहा है। (सांकेतिक चित्र)

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