कश्मीर में राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खुला, भ्रष्टाचार का किया था खुलासा

सुरेश डुग्गर
सोमवार, 29 अक्टूबर 2018 (18:46 IST)
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में जड़ों तक पहुंच चुके भ्रष्टाचार के मामलों के प्रति राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा किए जाने वाले रहस्योद्‍घाटनों की झड़ी के बाद सभी ने राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि तत्कालीन भाजपा-पीडीपी सरकार के नेताओं ने राज्यपाल के खिलाफ इसलिए मोर्चा खोला है क्योंकि राज्यपाल ने अपने रहस्योद्‍घाटनों में उन्हें दोषी ठहराया था तो नेकां समेत अन्य विपक्षी दलों ने राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा है कि वे उन सभी को नंगा करें जो ऐसे मामलों में लिप्त थे।
 
यही नहीं जेके बैंक के चेयरमैन तथा जम्मू कश्मीर लोकसेवा आयोग के चेयरमैन ने भी राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यह बात अलग है कि राजभवन ने एक बयान जारी कर इससे इंकार किया है कि राज्यपाल ने किसी पार्टी विशेष का नाम लिया था।
 
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपप्रधान उमर अब्दुल्ला ने गंभीर मसला करार देते हुए कहा कि पूर्व पीडीपी-भाजपा सरकार ने चहेतों को पिछले दरवाजे से जम्मू कश्मीर बैंक में तैनात कर दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि यह तो शुरुआत है, अभी ऐसे कई और घोटाले सामने आएंगे।
 
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता रवीन्द्र शर्मा ने कहा कि कांग्रेस पहले ही यह कहती रही है कि नौकरियों में भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार हो रहा है। पूर्व सरकार में जिम्मेदार नेताओं पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए। स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन (पीएससी) के चेयरमैन और जम्मू कश्मीर बैंक के चेयरमैन को हटाया जाए। उन्होंने कहा कि ग्रुप मेडिक्लेम इंश्योरेंस पॉलिसी का करार रद्द कर देने से यह साफ हो गया है कि मामले में भ्रष्टाचार हुआ है। उच्च स्तरीय जांच करवाते हुए कंपनी पर मामला दर्ज करवाया जाए।
 
पैंथर्स पार्टी ने जम्मू कश्मीर बैंक की चयन सूची में योग्य उम्मीदवारों को बाहर निकाल राजनीतिक कार्यकर्ताओं की भर्ती पर कहा कि मामले की सीबीआई जांच करवाई जाए। पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह ने कहा कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में हुए भ्रष्टाचार को उजागर किया है। सिर्फ जम्मू कश्मीर बैंक में ही पिछले दरवाजे से नियुक्तियां नहीं की गई है बल्कि अन्य सरकारी विभागों में भी नियमों को ताक पर रखकर नियुक्तियां हुई हैं।
 
यह हैरान कर देने वाली बात है कि परीक्षा दिए बिना ही केएएस का चयन कर दिया। इससे यह साफ हो गया है कि जम्मू-कश्मीर में पूर्व गठबंधन सरकार के समय में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। साल 2014 में दिहाड़ीदारों की संख्या साठ हजार थी जो साल 2017 में बढ़कर एक लाख का आंकड़ा पार कर गई। 
 
नेशनल सेक्युलर फोरम के प्रधान डॉ. विकास शर्मा ने राज्यपाल की सराहना की। गौरतलब है कि शनिवार एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में राज्यपाल ने भ्रष्टाचार मुद्दे पर जेके बैंक और केएएस में नियुक्ति मामले पर खुलासा किया था। कर्मियों के बीमा मामले में हुए घोटाले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कर रही है।
 
जम्मू वेस्ट असेंबली मूवमेंट के प्रधान सुनील डिंपल ने भाजपा-पीडीपी सरकार के कार्यकाल में राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं की जेके बैंक में नियुक्तियां किए जाने, पीएससी की ओर से बिना परीक्षा केएएस अधिकारी नियुक्त करने व रिलायंस के साथ ग्रुप मेडिकल इंश्योरेंस समझौता करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को गिरफ्तार करने की मांग की है।
 
मूवमेंट प्रधान सुनील डिम्पल भाजपा-पीडीपी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि दोनों पार्टियां जम्मू-कश्मीर को भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने के बड़े-बड़े दावे करती थीं, लेकिन अब सत्ता के बाहर होते ही इन पार्टियों द्वारा किए गए घोटाले सामने आने लगे हैं। डिंपल ने विधानसभा भंग कर राज्य में नए सिरे से विधानसभा चुनाव करवाने की मांग भी की। डिंपल ने राज्यपाल से आरोपित अधिकारियों को गिरफ्तार करने की अपील करते हुए कहा कि जिन लोगों ने योग्य उम्मीदवारों का हक छीना है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

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