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हिजाब विवाद के बीच कर्नाटक में सोमवार से खुलेंगे 10वीं तक के स्कूल, डिग्री कॉलेजों पर फैसला नहीं

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, गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022 (21:00 IST)
कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद के बीच सोमवार से 10वीं तक के सभी स्कूलों को खोलने का फैसला किया गया है। 
 
हालांकि डिग्री कॉलेजों को खोलने का फैसला अभी नहीं लिया गया है। राज्य सरकार ने मंगलवार को हिजाब विवाद के बीच स्कूल-कॉलेजों (Karnataka School Update) को बंद रखने का फैसला किया था। 
 
मीडिया से बात करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने छात्रों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिन से स्थिति शांतिपूर्ण रही है। 
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आज हाईकोर्ट की 3 सदस्यीय पीठ ने मामले को सोमवार तक स्थगित किया है। कोर्ट ने सभी स्कूलों को फिर से खोलने की अपील करते हुए कहा कि दोनों पक्षों द्वारा किसी भी धार्मिक ड्रेस कोड से परहेज रखा जाए।

नई याचिका दायर : कर्नाटक में हिजाब विवाद पर बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में एक नई याचिका दायर की गई, जिसमें संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में धर्म का पालन करने के अधिकार के मुद्दे को उठाया गया है।
 
यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास और पत्रकारिता के एक छात्र ने यह याचिका दायर की है। इसमे कहा गया है कि मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है और जिस तरह कई राज्यों में घटनाएं हो रही हैं इसके और आगे फैलने की संभावना है ऐसे में यह बेहतर और उचित होगा कि शीर्ष अदालत मुद्दे का संज्ञान ले। याचिका में कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न उच्च न्यायालय परस्पर विरोधी आदेश पारित कर सकते हैं।
 
इसमें कहा गया कि हर किसी को अपनी पसंद के कपड़े/पगड़ी-टोपी आदि पहनने और अपने धर्म, अपने रीति-रिवाजों व परंपराओं का पालन करने का अधिकार है। अगर एक छोटी लड़की को 'हिजाब' पहने देखा जाता है, तो यह ‘अपनी पसंद से नहीं’ हो सकता है, लेकिन बड़ी और वयस्क लड़कियों और महिलाओं में जहां यह उनकी पसंद है, उनके अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। धर्म में विश्वास एक बात है लेकिन धार्मिक कट्टरता एक और पहलू है।
 
अधिवक्ता रूपेशसिंह भदौरिया और मारीश प्रवीर सहाय के जरिए दायर याचिका में कहा गया कि  धार्मिक कट्टरता के परिणाम सही नहीं होंगे, चाहे यह कट्टरता किसी भी धर्म से जुड़ी हो। कम से कम स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों को धार्मिक कट्टरता के खिलाफ लड़ाई के लिए युद्ध का मैदान नहीं बनाया जाना चाहिए।”
 
इसने कहा कि 'हिजाब' या सिर पर दुपट्टा इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं, इससे संबंधित विवाद केवल शीर्ष अदालत के विचार और शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक समान ड्रेस कोड के मुद्दे पर समाप्त हो सकता है।

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