मुंबई। शिवसेना ने शुक्रवार को भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि मुंबई के लोग उन्हें परास्त करेंगे जो बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) से भगवा ध्वज को हटाने की बात कर रहे हैं।
शिवसेना ने यह टिप्पणी अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में की। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने विश्वास जताया था कि उनकी पार्टी 2022 का बीएमसी चुनाव जीतेगी और शिवसेना को बीएमसी की सत्ता से बेदखल कर देगी।
फडणवीस ने कहा था कि बीएमसी में फिर से भगवा झंडा फहराया जाएगा, लेकिन यह शिवसेना की पूर्व सहयोगी पार्टी भाजपा का होगा।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि भाजपा के हिंदुत्व में मिलावट नहीं है।
शिवसेना का दो दशक से अधिक समय से बीएमसी पर नियंत्रण है जिसका वार्षिक बजट 30,000 करोड़ रुपए से अधिक है।
सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि अतीत में दो पेशवाओं बाला नातू और चिंटू पटवर्धन ने लालमहल पर से भगवा उतारकर ब्रिटिश यूनियन जैक फहराया था। भगवा को नीचे उतारते समय टोली के चेहरे पर एक प्रकार का आसुरी आनंद दिख रहा था। भगवा उतरते देखकर, समस्त पुणेकर, देश दुख से गर्दन झुका कर तड़प रहा था लेकिन कुछ लोग अति आनंद से मदहोश हो गए थे। इस मदहोश टोली के वारिसों को मुंबई महानगरपालिका पर से भगवा उतारने की कुबुद्धि सूझी होगी तो उस कुबुद्धि का मकबरा बनाकर मुंबई की जनता उसपर भी भगवा लहरा देगी।
संपादकीय में कहा गया है, 'यदि (तुम) भगवा (ध्वज) को स्पर्श करोगे तो तबाह हो जाओगे। यह पूरे इतिहास में स्पष्ट है। जो लोग बीएमसी पर नई ईस्ट इंडिया कंपनी के यूनियन जैक को फहराने की भाषा बोल रहे हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए।'
शिवसेना ने दावा किया कि दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी के साथ हाथ मिलाने के बाद ही भाजपा भगवा ध्वज के साथ जुड़ी थी। शिवसेना ने कहा कि मुंबई महानगरपालिका पर भगवा उतारने की बात करना मतलब मुंबई पर से महाराष्ट्र का अधिकार नकारने जैसा ही है।
संपादकीय में दावा किया गया है कि भगवा उतारने का मतलब मुंबई को पुन: पूंजीपतियों का निवाला बनाकर भूमिपुत्रों, श्रमिक, मजदूरों को गुलाम बनाने जैसा ही है। इसमें लिखा है कि जो लोग मराठी गौरव के झंडे को उतारने की साजिश कर रहे हैं, वे देश के कट्टर हिंदुत्व का अपमान कर रहे हैं। (भाषा)