पणजी। Social media Bombay HC judge : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) की गोवा पीठ के न्यायाधीश महेश सोनक ने शनिवार को कहा कि सोशल मीडिया (Social Media) या मास मीडिया जनसंहार का हथियार बन गया है और उनसे निपटने के लिए अब तक कोई समन्वित कोशिश नहीं की गई है।
न्यायमूर्ति सोनक ने जीआर कारे कॉलेज ऑफ लॉ में व्याख्यान श्रृंखला जीआरके-लॉ टाक्स के दौरान यह भी कहा कि वह ऐसी खबरें नहीं पढ़कर या ना देखकर कई मुद्दों से अनजान बने रहने को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि इसे वह गलत सूचना पाने से कहीं बेहतर मानते हैं।
उन्होंने कहा कि हम ऐसे युग में रहते हैं, जहां हम कंप्यूटर और स्मार्टफोन जैसी सोचने वाली मशीनों को पसंद करते हैं और उनका महिमामंडन करते हैं। लेकिन हम उन व्यक्तियों पर बेहद संदेह करते हैं या उनसे सावधान भी रहते हैं, जो सोचने की कोशिश करते हैं।
न्यायमूर्ति सोनक ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता की अपनी खूबियां हैं, लेकिन यदि हम अपनी सोचने की क्षमता, बुद्धि और इसके अलावा संवेदनशील विकल्प चुनने की क्षमता को किसी मशीन या एल्गोरिदम के पास गिरवी रख दें, चाहे वह कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो, तो यह एक दुखद दिन और दुखद दुनिया होगी।
उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से, स्वतंत्र रूप से और निडर होकर सोचने की यह क्षमता छात्रों को उन विचारों व विचारधाराओं को समझने, और जरूरत पड़ने पर अस्वीकार करने में सक्षम बनाएगी, जो दिन-ब-दिन शक्तिशाली होते जा रहे मास मीडिया उपकरणों द्वारा लगातार थोपे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ दशक पहले, दुनिया जनसंहार के हथियारों के खिलाफ लड़ रही थी। आज, सोशल मीडिया या मास मीडिया बड़े पैमाने पर ध्यान भटकाने वाले हथियार बन गए हैं और फिर भी उनसे निपटने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं। न्यायाधीश ने कहा कि वे अपने तरीके से, प्रयोग के माध्यम से, लगभग चार वर्षों से खबरों से परहेज किए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि समाचार न पढ़ने या न देखने से, ऐसा लगा कि मुझे कई मुद्दों के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन मुझे लगता है कि यह गलत जानकारी होने से बेहतर है। एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma