मुंबई। सांसद संजय राउत 102 दिन बाद आर्थर रोड जेल से रिहा हुए। संजय राउत को पात्रा चाल घोटाला मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। संजय राउत के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप था। मुंबई की एक विशेष अदालत ने पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के के मामले में सांसद संजय राउत को आज जमानत दे दी। हालांकि जमानत के खिलाफ ईडी ने याचिका लगाई है। ईडी ने राज्यसभा सांसद संजय राउत को 31 जुलाई को उपनगरीय गोरेगांव में पात्रा चॉल के पुनर्विकास के संबंध में वित्तीय अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था।
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष न्यायाधीश एम.जी. देशपांडे ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद राउत की ज़मानत याचिका को मंजूर कर लिया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्यसभा सदस्य राउत को इस साल जुलाई में उपनगरीय गोरेगांव में पात्रा चॉल के पुनर्विकास में कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था। राउत ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया था कि उनके खिलाफ मामला सत्ता के दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है।
हाईकोर्ट ने रोक लगाने से किया इंकार : बम्बई हाईकोर्ट शिवसेना सांसद संजय राउत को एक विशेष अदालत से मिली जमानत पर तत्काल रोक लगाने से बुधवार को इनकार कर दिया था। दालत ने कहा कि वह इस तरह का आदेश दोनों पक्षों को सुने बिना नहीं पारित कर सकती। इसके साथ ही इसने मामले की सुनवाई के लिए गुरुवार का दिन तय किया।
एक विशेष अदालत ने राउत और सह-आरोपी प्रवीण राउत की जमानत दिन में मंजूर कर ली थी और शुक्रवार तक इस जमानत आदेश पर रोक का प्रवर्तन निदेशालय का अनुरोध ठुकरा दिया था। इसके बाद ईडी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर जमानत आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने हालांकि ईडी को कोई राहत देने से इनकार कर दिया कि जब जमानत मंजूर की जा चुकी है तो वह दोनों पक्षों को सुने बिना ऐसी रोक नहीं लगा सकती।
उन्होंने कहा कि 'मैंने आदेश को देखा तक नहीं है। मुझे नहीं पता कि किस आधार पर जमानत दी गई है। मुझे नहीं पता कि आपने (ईडी) ने किस आधार पर आदेश को चुनौती दी है।...भले ही मुझे अभी प्रथम दृष्टया आदेश ही देना पड़े, लेकिन मैं संबद्ध पक्षों को सुने बिना रोक कैसे लगा सकती हूं।' अदालत ने कहा कि वह इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करेगी।
न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि 'अगर सुनवाई के बाद मैं जमानत रद्द करने का आदेश देती हूं तो आरोपी व्यक्तियों को वापस हिरासत में लिया जा सकता है।' हाईकोर्ट ने यह भी पूछा कि किस कानूनी प्रावधान के तहत उसे जमानत के आदेश पर रोक लगाने का अधिकार है।
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने जमानत आदेश पर गुरुवार तक रोक लगाने की मांग की। इस पर अदालत ने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अर्जी पर सुनवाई एक दिन में पूरी हो ही जाएगी।