नैनीताल। सरोवरी नगरी के पर्यटन स्थलों समेत आसपास के क्षेत्रों में भूस्खलन का असर पर्यटन कारोबार पर भी पड़ने लगा है।नैनीताल का बलिया नाला, नैनी झील, माल रोड, राजभवन रोड, ठंडी सड़क समेत आसपास के सभी क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन हो रहा है, लेकिन सरकार इस समस्या की लगातार अनदेखी ही कर रही है।
भूवैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि अगर सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो जल्द ही नैनीताल के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडरा सकते हैं।पर्यटक भी नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्रों में हो रहे भूस्खलन की घटनाओं से डरे हुए हैं।
पर्यटकों का कहना है कि लगातार पहाड़ियों से मलबा गिर रहा है, जिससे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को खतरा है।नैनीताल में भूस्खलनों का इतिहास पुराना रहा है। 1867 में नैनीताल में पहला भूस्खलन हुआ था।1880 में एक और बड़ा भूस्खलन हुआ जिसमें भारतीयों समेत 151 ब्रिटिश नागरिकों की मौत हुई।
नैनीताल की सुरक्षा के लिए हिल साइड सेफ्टी कमेटी का गठन इन्हीं भूस्खलनों के बाद हुआ था। नैनीताल की सुरक्षा को लेकर नियम बनाए गए। नैनीताल की सुरक्षा के लिए 62 नालों का निर्माण 1889 में पहली दफा किया गया। नालों की कुल लंबाई करीब 79 किलोमीटर है।