Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

उत्तराखंड में 2018 में बाघों की संख्या थी 442, जो 2022 तक बढ़कर हो गई 560

हमें फॉलो करें Tiger

एन. पांडेय

देहरादून , रविवार, 30 जुलाई 2023 (00:10 IST)
Uttarakhand News : बाघों के संरक्षण के लिए मनाया जाने वाले ग्लोबल टाइगर डे के मौके पर कॉर्बेट में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य बाघों की प्रजातियों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इस अवसर पर राज्यवार बाघों के आंकड़े जारी किए गए। बाघों के संरक्षण व संवर्धन हेतु 3 रिपोर्ट भी जारी की गई।

इसके साथ ही भारत के 6 टाइगर रिजर्व को ग्लोबल कैट्स एक्ररेडिशन सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया। पूरे भारत में वन्य जीव संरक्षण की दिशा में असाधारण व सराहनीय कार्य करने वाले वन विभाग के कुल 11 फ्रंटलाइन वर्कर्स को सम्मानित किया गया जिसमें सिमलीपाल टाइगर रिजर्व के 2 कार्मिकों को मरणोपरांत उनके कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में वर्चुअली प्रतिभाग करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वनों एवं वन्यजीवों का संरक्षण देवभूमि की संस्कृति एवं दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है तथा प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाना हमारा संस्कार है। यह उत्तराखंड की संस्कृति है जो हमें धरोहर के रूप में हमें पुरखों से संस्कार में मिली है। हमें इको टूरिज्म में स्थानीय समुदाय की और अधिक भागीदारी सुनिश्चित करते हुए होम स्टे, बर्ड वॉचिंग व अन्य क्रियाकलापों पर अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

उत्तराखंड में बाघों की संख्या में इजाफा होने पर सीएम ने उत्तराखंड की जनता, वन विभाग के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ही स्थानीय प्रतिभागियों को बधाई दी। सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में वर्ष 2018 में बाघों की संख्या 442 थी, जो वर्ष 2022 तक बढ़कर 560 हो गई है।

मुख्यमंत्री ने देशभर के टाइगर रिजर्व से पहुंचे प्रमुख वन्य जीव संरक्षकों से जिम कॉर्बेट संग्रहालय कालाढूंगी में जाने का अनुरोध किया। उन्‍होंने कहा कि विश्व विख्यात जिम कॉर्बेट ने अपने जीवन का काफी समय कालाढूंगी में व्यतीत किया।  कालाढूंगी में उनका पुराना घर है जिसे एक संग्रहालय का रूप दिया गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हल्द्वानी में जल्द ही वाइल्ड लाइफ हॉस्पिटल का शिलान्यास भी किया जाएगा। साथ ही वन विभाग के अधिकारियों को कार्य के दौरान आने वाली चुनौतियों पर कार्य करके उनके समाधान के प्रयास पर कार्य करने को कहा। उन्होंने कहा कि वन्यजीव और मानव संघर्ष के प्रकरणों पर विभाग को स्वतः ही सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुमन्य सहायता दी जानी चाहिए, जिससे पीड़ित पक्ष को अनावश्यक दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।

केंद्रीय वन, पर्यावरणीय, जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि प्रकृति की रक्षा करना मानव जीवन का कर्तव्य है। जब मनुष्य प्रकृति की रक्षा करेगा तो प्रकृति स्वयं ही प्राणियों की रक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि आज बाघ संरक्षण के 5 दशक पूरे किए हैं जो कि उपलब्धियों से परिपूर्ण है। पूरे विश्व के 75 प्रतिशत से अधिक बाघ भारत में पाए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण संवर्धन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए वन विभाग को अत्याधुनिक उपकरणों के प्रयोग से लैस किया गया है किन्तु आवश्यकता है अधिक सशक्त बनाने की। उन्होंने कहा, जिस प्रकार सेना व पुलिस को उनकी वीरता के लिए पदक दिया जाता है, उसी प्रकार वन विभाग को भी उनके साहसिक कार्यों के लिए वीरता पदक से राष्ट्रपति द्वारा नवाजा जाए, इस दिशा में कारगर प्रयास जारी हैं।

उन्होंने बाघों के महत्व के विषय में बताया कि बाघ को स्थानीय समुदायों की आजीविका एवं सतत विकास का प्रतीक चिन्ह माना गया है। इसे पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का संकेतक मानते हुए वैश्विक स्तर पर सतत विकास, जैव विविधता संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन निवारण के मानक के रूप में देखा गया है।

केंद्रीय मंत्री एवं पर्यटन रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा कि वन्य जीव टाइगर के संरक्षण व संवर्धन के लिए 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई। उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण व संवर्धन के लिए वित्तीय सहयोग भी किया जाएगा।

कार्यक्रम में राज्यवार बाघों के आंकड़े जारी किए। आंकड़ों के अनुसार, भारत वर्ष में 2018 की तुलना में 2022 में 715 बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2022 के आंकड़ों के आधार पर बाघों की कुल संख्या 3682 है जो कि 2018 में 2967 थी।

सर्वाधिक बाघ मध्य प्रदेश में 785, फिर कर्नाटक में 563 व उत्तराखंड में 560 संख्या रही। जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तरखण्ड कार्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ी है। 2018 की तुलना में 118 बाघ बड़े हैं, राज्य में अब कुल बाघ 560 हो गए हैं, वहीं कार्बेट टाइगर रिजर्व में पहले 231 बाघ थे, जो बढ़कर 260 हो गए हैं।

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी व नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री द्वारा एक चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसकी थीम थी टाइगर, द किंग ऑफ जंगल। 18 राज्यों व 02 केंद्र शासित प्रदेशों से 6892 प्रविष्टि देशभर में की गई थी जिसमें से 20 लोगों को पुरस्कृत किया गया।

प्रथम तीन स्थान पर आने वालों को क्रमशः 5000, 4000 व 3000 की धनराशि दी गई। प्रथम स्थान पर दिल्ली के ग्यारहवीं के युवराज द्वितीय स्थान पर दिल्ली के ही बारहवीं कक्षा के अनुराग कुमार व तृतीय स्थान पर भुवनेश्वर की 11वीं की नयनिका जीना रहीं। कार्यक्रम में भारत के विभिन्न टाइगर रिजर्व से आए ईडीसी व स्वयं सहायता समूह द्वारा स्थानीय उत्पादों का स्टाल लगाकर प्रदर्शन भी किया गया।

इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, विधायक रामनगर दीवान सिंह बिष्ट, भीमताल राम सिंह, नैनीताल सरिता आर्या,यमकेश्वर रेणु बिष्ट, महानिदेशक वन सीपी गोयल, सदस्य सचिव एनटीसीए डॉ. एसपी यादव, आईजीएफ अमित मलिक, प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक, समीर सिन्हा, कुमाऊं मुख्य वन संरक्षक पीके पात्रो, आईजी नीलेश आनंद भरणे, डायरेक्टर कॉर्बेट डॉ. धीरज पांडेय, राजाजी डॉ. साकेत बड़ोला सहित अन्य वन अधिकारी उपस्थित थे।
Edited By : Chetan Gour

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्‍या कर्नाटक कांग्रेस में सब ठीक है, आलाकमान ने दिल्ली में बुलाई बैठकें