उप्र जल विद्युत निगम का 1400 करोड़ रुपए हड़पने का षड्यंत्र!

अरविंद शुक्ला
सोमवार, 15 सितम्बर 2014 (23:11 IST)
लखनऊ। उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड का उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड में विलय होगा। इस बाबत उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम के विलय के प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड  से कहा गया है। समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुनाफा कमाने वाले इन दोनों निगमों का विलय करने का मन बना लिया है। यह मामला जल्द ही कैबिनेट से अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाएगा। 
पिछले दिनों 3 जून को उक्त आशय का पत्र ऊर्जा विभाग के संयुक्त सचिव एनएच रिजवी ने उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अध्य़क्ष एवं प्रबन्ध निदेशक को भेजा गया है जिसकी पुष्टि स्वयं विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक कामरान रिजवी ने इस संवाददाता से की है।
 
सूचना है कि उत्तर प्रदेश शासन के ऊर्जा विभाग ने सीधे उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड  को पत्र लिखकर  उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम का विद्युत उत्पादन निगम में विलय का प्रस्ताव मांगा किन्तु  इस मामले में शासन ने  उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम का विचार या प्रस्ताव लेने की  कोई कोशिश ही नहीं की। 
 
उल्लेखनीय है कि  उत्तर प्रदेश शासन के ऊर्जा  विभाग ने  उत्तर प्रदेशजल वि़द्युत निगम का  उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम में विलय के सम्बन्ध में विशेष सचिव ऊर्जा की अध्यक्षता में गत 5 जून को बैठक आहूत करने के सम्बन्ध में शासन के पूर्व पत्रों दिनांक 13जून 2013, 24 जून 2013 व 28 मई 2014 का हवाला देते हुए  उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम से  विलय के सम्बन्ध में वांछित आखया मांगी थी। यह भी कहा गया था कि प्रश्नगत प्रकरण में वांछित आखया/सूचना मंत्रिमण्डल के विचारार्थ टिप्पणी आदि तत्काल शासन को उपलब्ध कराएं।
 
यहां यह देखने की जरूरत है कि राज्य के दोनों ही ऊर्जा निगम अर्थात उप्र जल विद्युत निगम और  उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड  मुनाफे में है फिर इन दोनों के विलय का प्रस्ताव समझ से परे है। जानकारों ने बताया कि ऊर्जा क्षेत्र के निगमों में से उप्र जल विद्युत निगम जनता व सरकार के लिए लाभकारी होने के साथ ही साथ आर्थिक रूप से पूर्णतः सक्षम एवं समर्थ हैं। 
 
जानकारों का कहना है कि  उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम का  उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड  पर लगभग 1200 करोड रुपए,  उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड पर लगभग 100 करोड रुपए, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत परिषद पर लगभग 40 करोड़ रुपए एवं मप्र राज्य विद्युत परिषद पर लगभग 43 करोड़ रुपए बकाया है। इसी प्रकार लगभग 100 करोड़ रुपए की राशि  उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम के खातों में जमा है।
 
सूत्रों का कहना है कि ऊर्जा विभाग के कुछ प्रभावशाली अधिकारियों द्वारा  उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम का  उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम में विलय कराकर  उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम के लगभग 1400 करोड़ रुपए हड़पने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा है। 
 
ऊर्जा विभाग में दोनों ही निगमों के विलय की बैठक की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। आखिर 5 जून को दोनों ही निगमों के विलय सम्बन्धी बैठक ऊर्जा विभाग द्वारा इतनी हड़बड़ी के साथ आहूत करने का प्रयास किया गया जबकि शासन को  उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम से तब तक विलय के सम्बन्ध में कोई आखया भी नहीं प्राप्त हुई थी और राज्य के  प्रमुख सचिव ऊर्जा व  उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल आईएएस छुट्‌टी पर थे।
 
यह भी मालूम हो कि  उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड  में वर्ष 2001 से अब तक अध्यक्ष सह प्रबन्ध निदेशक एवं  निदेशकों का चयन/नियुक्ति क्यों नही की गई, यह भी कि  उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध होते हुए भी जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना निगम द्वारा न कराकर पीपीपी मोड के अन्तर्गत निजी क्षेत्रों मे क्यों सौंपे गए।  
 
उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड  में विगत कई वर्षों से रिक्त होने वाले उच्च प्रबन्धकीय पदों जैसे मुखय अभियंता, महाप्रबन्धक एवं निदेशक के पदों का कार्यभार  उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड  के कर्मचारियों को ही अतिरिक्त कार्यभार के रूप में क्यों और किन स्थितियों में और किन नियमों के तहत सौंपे गए हैं, यह यक्ष प्रश्न है जिनके उत्तर आने अभी बाकी हैं। समाचारों के साथ जल विद्युत निगम, विद्युत उत्पादन निगम का मोनो तथा पॉवर कॉर्पोरेशन का चित्र प्रकाशित करें।
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