Ramcharitmanas

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

वीजी सिद्धार्थ: कॉफी कारोबार में नहीं थी ‍दिलचस्पी, इस वजह से की CCD की स्थापना

Advertiesment
हमें फॉलो करें VG Siddharth
, बुधवार, 31 जुलाई 2019 (20:22 IST)
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी कॉफी रेस्त्रां श्रृंखला 'कैफे कॉफी डे' (सीसीडी) को खड़ा करने वाले वीजी सिद्धार्थ की इच्छा निवेश बैंकर बनने की थी, इस दिशा में उन्होंने पहल भी की। परिवार के कॉफी कारोबार में उनकी बहुत ज्यादा रुचि नहीं थी। लेकिन, जर्मनी की कॉफी श्रृंखला टिचीबो के मालिक से बात करने के बाद सिद्धार्थ का नजरिया बदल गया और उन्होंने अपना कॉफी रेस्तरां खोलने का फैसला किया। 
 
वी जी सिद्धार्थ ने कॉफी रेस्तरां चलाने वाले वैश्विक ब्रांड स्टारबक्स के मुकाबले भारत में एक सफल ब्रांड सीसीडी खड़ा किया। उनकी ख्याति एक सफल उद्यमी की रही है। हालांकि, कुछ सालों से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। कर्ज और कर से परेशान होकर उन्होंने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। वह सोमवार शाम से लापता थे और बुधवार को उनका शव बरामद हुआ।
 
परिवार के 140 साल पुराने कॉफी बागान के कारोबार में जन्मे सिद्धार्थ की शुरू में परिवार के कॉफी बागान के काम में ज्यादा रुचि नहीं थी। उन्होंने शेयर ट्रेडिंग का काम किया। मैंगलोर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक की डिग्री लेने के बाद वह मुंबई में निवेश बैंकर के रूप में काम करना चाहते थे। 
 
साल 1984 में सिद्धार्थ ने बेंगलूरू में अपनी निवेश एवं उद्यम पूंजी कंपनी सिवन सिक्योरिटीज शुरू की। कंपनी के मुनाफे से उन्होंने कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में कॉफी के बागान खरीदे। 
 
इसी समय, उनकी दिलचस्पी अपने पारिवारिक कॉफी कारोबार में भी बढ़ी। वर्ष 1993 में उन्होंने अमलगमेटेड बीन कंपनी (एबीसी) के नाम से अपनी कॉफी ट्रेडिंग कंपनी शुरू की थी। शुरुआत में कंपनी का सालाना कारोबार छह करोड़ रुपये का था। धीरे-धीरे कारोबार बढ़कर 2,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया। 
 
जर्मनी की कॉफी रेस्तरां श्रृंखला चलाने वाली टिचीबो के मालिकों के साथ बातचीत करके सिद्धार्थ इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने देश में कॉफी रेस्तरां श्रृंखला खोलने का फैसला किया। 
 
सिद्धार्थ ने कैफे कॉफी डे का पहला स्टोर 1994 में बेंगलुरू में खोला। यह अब भारत में कॉफी रेस्तरां की सबसे बड़ी श्रृंखला है। वियना और कुआलालंपुर सहित 200 से अधिक शहरों में इसके 1,750 कैफे हैं।
 
सिद्धार्थ, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एस. एम. कृष्णा के दामाद थे। रोबारी पोर्टफोलियो का विस्तार करते हुए सिद्धार्थ ने आईटी क्षेत्र में कदम रखा और ग्लोबल टेक्नोलॉजी वेंचर्स लिमिडेट की स्थापना की। उन्होंने निवेश फर्म सिवन सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ वित्तीय क्षेत्र में भी प्रवेश किया।
 
वह कभी आईटी कंपनी माइंडट्री के सबसे बड़े शेयरधारक थे लेकिन उन्होंने हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया। इस साल मार्च में उन्होंने माइंडट्री में 20.41 प्रतिशत हिस्सेदारी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को बेच दी थी। इससे उन्हें करीब 2,858 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ और उन्हें कर्ज का भुगतान करने में काफी मदद मिली। 
 
सिद्धार्थ की मुश्किलें सितंबर 2017 में शुरू हुईं। जब आयकर विभाग ने उनसे जुड़े 20 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की। कथित तौर पर पिछले कुछ सालों से सिद्धार्थ पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा था। 
 
सिद्धार्थ ने सीसीडी के निदेशक मंडल को लिखे पत्र में कहा है कि उन पर एक निजी इक्विटी साझेदार का दबाव है, जो मुझे शेयर वापस खरीदने के लिए मजबूर कर रहा है। मैंने 6 महीने पहले एक दोस्त से बड़ी रकम उधार लेकर इस लेनदेन का कुछ हिस्सा पूरा किया है।
 
पत्र में आयकर विभाग के एक अधिकारी द्वारा प्रताड़ित किए जाने का भी जिक्र है। जिसने माइंडट्री में उनके शेयर कुर्क किए थे।
 
सिद्धार्थ की मौत के मामले में देश से फरार उद्योगपति विजय माल्या ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मैं वी.जी, सिद्धार्थ से परोक्ष रूप से जुड़ा हुआ हूं। वह एक अच्छे इंसान और बुद्धिमान उद्यमी थे। माल्या ने कर्जदारों को परेशान किये जाने को लेकर भारतीय एजेंसियों और बैंकों को काफी निर्दयी बताया। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सतना कलेक्टर के नाम से ठगी की सनसनीखेज कोशिश, ASP के नाम पर कॉल कर वसूले 90 हजार