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अंग्रेजी नहीं आती तो पद कैसे संभालेंगे, हाईकोर्ट ने ADM से क्‍यों किया यह सवाल?

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हमें फॉलो करें Why did Uttarakhand High Court ask this question to ADM

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नैनीताल , शनिवार, 26 जुलाई 2025 (21:39 IST)
Uttarakhand News : एक अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM) द्वारा जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हिंदी में जवाब देने पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के 2 शीर्ष अधिकारियों से यह पता लगाने को कहा है कि क्या एक अधिकारी जिसे अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है, वह किसी कार्यकारी पद पर प्रभावी ढंग से काम कर सकता है। संबंधित एडीएम नैनीताल के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी भी हैं। मुख्य न्यायाधीश गुहानाथन नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक माहरा की खंडपीठ ने जब पूछा कि उन्होंने अंग्रेजी के बजाय हिंदी क्यों चुनी, तो अधिकारी ने कहा कि वह (अंग्रेजी) भाषा समझ तो सकते हैं, लेकिन धाराप्रवाह बोल नहीं सकते।
 
इस पर पीठ ने राज्य निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव से यह पता लगाने को कहा कि क्या एडीएम स्तर का अधिकारी, जिसे अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है, किसी कार्यकारी पद पर प्रभावी ढंग से काम कर सकता है। संबंधित एडीएम नैनीताल के निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी भी हैं।
उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव को 28 जुलाई को जनहित याचिका की अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थित होकर प्रश्न का उत्तर देने को कहा। यह स्थिति नैनीताल जिले के बुधलाकोट ग्रामसभा में पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची में बाहरी लोगों के नाम शामिल करने पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उत्पन्न हुई।
 
इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग से ऐसे व्यक्तियों को मतदाता सूची में शामिल करने के लिए इस्तेमाल किए गए मानदंडों पर सवाल उठाया। अदालत ने पूछा कि किस आधार पर इन व्यक्तियों की पहचान उस क्षेत्र के निवासी के रूप में की गई।
चुनाव अधिकारी ने बताया कि नामों की पहचान कुटुंब रजिस्टर के आधार पर की गई थी। वह व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए थे। अदालत ने हालांकि कहा कि पंचायती राज अधिनियम के तहत जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र को कुटुंब रजिस्टर से अधिक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है।
 
अब तक पंचायत चुनाव से संबंधित विभिन्न मुद्दों को चुनौती देने वाली 25 से अधिक याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। बुधलाकोट निवासी आकाश बोरा ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि गांव की मतदाता सूची में 82 नाम क्षेत्र के बाहर के लोगों के हैं, जिनमें से अधिकांश ओडिशा राज्य और अन्य स्थानों से हैं। जब उन्होंने उपजिलाधिकारी से शिकायत की, तो एक तथ्यान्वेषी समिति गठित की गई, जिसने पाया कि सूचीबद्ध 18 व्यक्ति वास्तव में बाहरी थे।
हालांकि अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद भी, इन 18 व्यक्तियों के नाम नहीं हटाए गए। जनहित याचिका दायर करने के बाद याचिकाकर्ता ने ऐसे 30 और व्यक्तियों की सूची भी अदालत को सौंपी। याचिका में कहा गया कि बार-बार शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। सूची में हल्द्वानी, नैनीताल, ओडिशा, दिल्ली और हरिद्वार जैसे स्थानों के बाहरी लोगों के नाम शामिल हैं।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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