रांची। खनन लीज मामले में अदालत का फैसला आने से पहले ही झारखंड में सियासी उथल पुथल मच गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा बुलाई गई बैठक में 11 विधायकों के नहीं पहुंचने से हड़कंप मच गया। भाजपा ने दावा किया कि फैसले के बाद हेमंत सोरेन अपनी पत्नी को राज्य की सत्ता सौंप सकते हैं।
हालांकि सारी कवायद सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ही टिकी हुई है। सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अगर अदालत हेमंत सोरेन को दोषी मानती है कि चुनाव आयोग सोरेन के चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकता है। ऐसे में सोरेन पत्नी या पिता शीबू सोरेन को मुख्यमंत्री बना सकते हैं।
झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए आयोजित यूपीए विधायकों की बैठक में 37 विधायक ही उपस्थित रहे। 82 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 42 का आंकड़ा जरूरी है। ऐसे 11 विधायकों की अनुपस्थिति से सोरेन सरकार पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं।
दरअसल भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने शुक्रवार को एक ट्वीट कर कहा था कि झारखंड में भाभी जी के ताजपोशी की तैयारी, परिवारवादी पार्टी का बेहतरीन नुस्ख़ा गरीब के लिए।
शनिवार को एक अन्य ट्वीट में दुबे ने कहा कि भाभीजी के नाम पर झामुमो के वरिष्ठ विधायक व कांग्रेस सहमत नहीं दिखाई दे रही है। कारण पंचायत चुनाव के नोटीफिकेशन के अनुसार भाभीजी आदिवासी सीट पर चुनाव लड़ने के काबिल नहीं हैं। बसंत भैया व सीता भाभीजी भी चिंतित।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के 3 विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप, नमन विक्सल कोंगाड़ी कैश कांड में पकड़े जाने के बाद कोलकाता जेल में हैं। वहीं कई अन्य विधायक भी निजी कारणों से बैठक में उपस्थित नहीं थे।