अदालत का निर्णय सर्वोपरि-कटियार

अरविंद शुक्ला
बुधवार, 15 सितम्बर 2010 (23:04 IST)
WD
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद विनय कटियार ने अयोध्या मामले में फैसले से पहले न्यायाधीशों द्वारा दोनों पक्षों से एक बार फिर बातचीत कर समाधान निकालने के निर्णय की सराहना की है। हालाँकि उन्होंने कहा कि अदालत का निर्णय स्वाभाविक और सर्वोपरि है।

भाजपा मुख्यालय में कटियार ने कहा कि केन्द्र को अयोध्या में स्वामित्व को लेकर चल रहे मुकदमे में पहल कर वादी/पक्षकार या जो भी कानूनी रूप से उचित हो, बनकर समस्या के समाधान के लिए कार्य करना चाहिए। कटियार ने कहा कि 1905 में फैजाबाद अदालत ने बातचीत के माध्यम से समस्या के समाधान पर बल दिया था। ठीक उसी प्रकार केन्द्र सरकार को समस्या का हल बातचीत से निकालना चाहिए।

विनय कटियार ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल, देवेगौड़ा ने अयोध्या मामले में रुचि नहीं दिखाई थी। उन्होंने रहस्योद्‌घाटन किया और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने एवं पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या मामले में दोनों पक्षों से बातचीत करने के लिए तारीख भी तय कर दी थी, किन्तु दुर्भाग्य से बातचीत प्रारम्भ न हो सकी। कटियार ने कहा यदि छह माह का समय और मिल जाता और इंडिया शाइनिंग नारा न होता तो आज स्थिति और होती।

भाजपा नेता ने कहा कि इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर, विश्वनाथ प्रताप सिंह, पूर्व मुख्‍यमंत्री मुलायमसिंह ने आपसी वार्ता प्रारम्भ की किन्तु श्रेय की होड़ में मामला अटक गया। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने उनसे कहा था कि वहाँ राम मंदिर निर्माण होना चाहिए, किन्तु बातचीत के माध्यम से।
उन्होंने कहा कि राव ने अयोध्या में 2.77 एकड़ परिसर के अंदर निर्माण छोड़कर अन्य जगह निर्माण कराने को कहा था। इसी के मद्‌देनजर 6 दिसंबर 92 को हमने काम शुरू कराया था।

भाजपा नेता ने कहा कि अयोध्या मामले का बातचीत से ही स्थायी हल निकलेगा क्योंकि आने वाला फैसला जिसके भी पक्ष में नहीं होगा वह उच्चतम न्यायालय जाएगा। कटियार ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बने यह केवल उनकी ही नहीं बल्कि दुनिया भर के राम भक्तों की इच्छा है।

उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनने के लिए इससे पहले 78 बार युद्ध हुए हैं और साढ़े चार लाख लोगों ने अपना बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि अब यह विषय अदालत में है और अदालत सर्वोच्च है। उन्होंने कहा कि अदालत का निर्णय स्वाभाविक, सर्वोपरि है।

विनय कटियार का मानना है कि राम मंदिर श्रद्धा विश्वास का मामला है और इस मामले में न्यायालय में एक दो लोगों की दरखास्त देने वाले करोड़ों हिन्दुओं के प्रतिनिधि नहीं हो सकते। अतः सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू के समय जब सोमनाथ मंदिर बनवाया गया तब मुसलमानों ने आवाज नहीं उठाई तो अब मुसलमान अयोध्या मामले में आवाज क्यों उठा रहे हैं?

उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश सरकार लोगों को भयाक्रांत बना रही है, जबरन गुंडा एक्ट लगाया जा रहा है। मायावती को मुलायम के रास्ते पर चलने की आवश्यकता नहीं है।

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