गुजराती मुसलमानों के लिए सबसे बड़ी चिंता?

Webdunia
बुधवार, 15 मई 2013 (10:33 IST)
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सूरत। गुजरात के मुसलमानों के जेहन में 2002 की हिंसा की खौफनाक यादें आज भी मौजूद हैं, लेकिन वे अपने भविष्य को अधिक सुरक्षित और विकासोन्मुखी बनाने की कोशिश में है। शायद यही वजह है कि आज की तारीख में उनके लिए सांप्रदायिकता से बड़े मुद्दे भ्रष्टाचार और विकास हैं।

बीते 12 मई को गुजरात के औद्योगिक शहर सूरत में ‘मुसलमानों के सामने 21वीं सदी की चुनौतियां’ पर एक बड़ा सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें राज्य के अलग अलग हिस्सों से मुस्लिम समाज के हजारों लोग शामिल हुए।

यहां मौजूद लोगों में से ज्यादातर ने आज के समय में भ्रष्टाचार और बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष को सबसे बड़ी चुनौती माना तथा बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा की अहमियत को भी कुबूल किया।

सूरत में कपड़ा व्यवसायी और सामाजिक कार्यों से जुड़े परवेज भाई कुजरेवाला ने कहा कि देखिए, आज के दौर में हर इंसान अपनी तरक्की चाहता हैं, मिसाल के तौर पर मैं एक व्यापारी हूं और हमेशा यही चाहूंगा कि सरकार के स्तर पर हमें कारोबार करने में पूरी मदद मिले। परंतु अक्सर मैं यह महसूस करता हूं कि हम व्यापारियों को भ्रष्टाचार की मार झेलनी पड़ती है। हमारे यहां भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है।

साल 2002 दंगे के बारे में सवाल किए जाने पर वह कहते हैं, ‘पूरी दुनिया जानती है कि 2002 में क्या हुआ था। अल्लाह का शुक्र है कि सूरत में हालात उतने बदतर नहीं थे। उनकी खौफनाक यादें आज भी हमारे जेहन मैं हैं, लेकिन लोग काफी आगे निकल चुके हैं। उम्मीद करते हैं कि हमारे गुजरात में अमन कायम रहेगा और हम सभी लोगों को तरक्की करने का मौका मिलेगा।

अगले पन्ने पर आखिर क्यों दिया मुसलमानों ने भाजपा को वोट...


वैसे, सूरत के सम्मेलन में मौजूद बहुत सारे लोगों ने राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे तौर पर जुड़े सवालों को लेकर कुछ नहीं बोला। हां, कुछ ने इतना जरूर स्वीकार किया कि गुजरात के मुसलमानों के एक तबके ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया था।

अहमदाबाद से आए 24 वर्षीय फैजल शेख ने कहा, ‘मेरे जानने वालों में कई मुसलमानों ने भाजपा के लिए वोट दिया। शायद इसकी वजह डर हो सकती है या फिर कुछ और। हमारी यही दुआ है कि गुजरात में अमन कायम रहे।’

एक निजी संस्थान से जनसंचार में स्नातक करने वाले फैजल कहते हैं, ‘साल 2002 में मैं काफी छोटा था। इतना जरूर याद है कि हमारे घर में लोग डरे हुए थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। मैंने अभी पढ़ाई पूरी की है और एक स्थानीय गुजराती अखबार में इंटर्नशिप कर रहा हूं। पत्रकार बनकर लोगों की समस्याओं को सामने लाना चाहता हूं।

अंकलेश्वर से आए हाफिज मोहम्मद तारिक अली कहते हैं, ‘सुरक्षा सभी को चाहिए और सांप्रदायिकता राज्य में मुद्दा है। परंतु मुसलमानों के सामने राजनीतिक तौर पर विकल्प की कमी है। हमें तो कांग्रेस और भाजपा दोनों एक जैसे नजर आते हैं। पिछले चुनाव में शायद लोगों ने विकास एवं भ्रष्टाचार के पैमाने पर तौला और भाजपा को बेहतर समझा।

सम्मेलन का आयोजन करने वाले संगठन ‘स्ट्राइव फॉर एमीनेंस एंड इम्पावरमेंट’ (सी) के प्रमुख मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्दीदी ने गुजरात और पूरे देश के मुसलमानों के समक्ष आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का जिक्र किया तथा शिक्षा के आधार पर इनका सामना करने पर जोर दिया। (भाषा)
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