विश्व मानवाधिकार दिवस पर श्रीमती संतोष शरण की स्मृति में 'मानवाधिकार की रक्षा में मीडिया का योगदान' पर विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए जस्टिस कोकजे ने कहा कि सभी क्षेत्रों में बाजारीकरण हुआ है और मीडिया भी इससे प्रभावित हुआ है।
उन्होंने मीडिया को नसीहत देते हुए कहा कि आरोपी और पीड़ित दोनों के मानवाधिकार में संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने अपनी बात को जस्टिस गांगुली और तहलका के पत्रकार तरुण तेजपाल के प्रकरण का उदाहरण देकर समझाया।
जस्टिस कोकजे ने कहा कि मीडिया द्वारा किसी कानूनी विषय पर सहज प्रतिक्रिया दे दी जाती है। मीडिया को तथ्यान्वेषण पर अधिक ध्यान देना चाहिए क्योंकि परिपक्व लोकतंत्र बनाने में भी इसकी अहम भूमिका है। उन्होंने हालांकि कहा कि सभी क्षेत्रों में बाजारीकरण हुआ है और मीडिया भी इससे अछूता नहीं रह पाया है। उन्होंने कहा कि मीडिया ने मानवाधिकार के हनन के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।
इस अवसर पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीपी सिंह ने कहा कि मानवाधिकार की रक्षा में मीडिया की अहम भूमिका है। हमें मानवाधिकार की नई परिभाषा गढ़ने की आवश्कता है। मानव में मानवीयता होनी चाहिए।
वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक ने कहा कि हमें मीडिया को गाली देने की बजाय मीडिया की अच्छाइयों को भी देखना चाहिए हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार हनन पर लिखने वाले पत्रकारों को अहमियत नहीं दी जाती है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पीके शुक्ला ने कहा कि मीडिया एक परिसीमा बनाकर काम करे साथ ही लोगों को दिग्भ्रमित करने का काम न करे। उन्होंने कहा कि मीडिया के समाज के लिए प्रेरणा का काम करना चाहिए।
व्याख्यानमाला का संचालन कर रहे डॉ. परमार ने कहा कि मीडिया को अपनी विश्वनीयता कायम रखनी होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पार्टियां सरकार इसलिए नहीं बना रही हैं क्योंकि मीडिया की उन पर नजर है। दिल्ली में सरकार नहीं बनना भी एक तरह से वहां के लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन कर रही हैं।
व्याख्यानमाला में जस्टिस मैथिलीशरण, जस्टिस शंभूसिंह के साथ ही कई अन्य कानूनविद, विधि विद्यार्थी और प्रबुद्धजन उपस्थित थे। इस अवसर पर स्कूल ऑफ लॉ की टॉपर छात्रा प्रीति मिश्रा को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में आरती शरण ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। एडवोकेट विवेक शरण ने आभार माना।