दक्षिणी कोलकाता के नकताला में यात्रियों को रिक्शे से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाले 40 वर्षीय सत्येन दास ने अपनी निजी बचत और स्थानीय लोगों से मिले चंदे से रकम जुटाई।
उन्होंने अपना सामान अपने सजे हुए रिक्शे की यात्री सीट के नीचे रखा और अपनी ही तरह की एक अलग यात्रा की शुरुआत पिछले माह कर दी थी।
दास ने बताया कि मैं रिक्शा से अपनी आजीविका कमाता हूं और पूरा दिन इसी के साथ बिताता हूं इसलिए जब मैंने लद्दाख की यात्रा का सपना देखना शुरू किया तो मैं इसे (रिक्शे को) पीछे नहीं छोड़ सकता था।
सत्येन उत्तरप्रदेश तक पहुंच चुके हैं और यहां से अब वे श्रीनगर जाएंगे। अगले माह कारगिल पार करके वे लद्दाख पहुंच जाएंगे।
उन्होंने कहा कि मैं इस यात्रा के जरिए विश्वशांति का संदेश फैलाना चाहता हूं। इसके साथ ही मैं रिक्शे का प्रचार एक सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल यातायात के साधन के रूप में करना चाहता हूं। (भाषा)