इस कार्यक्रम में इन महिलाओं ने करीब ढाई क्विंटल गुलाल व चार सौ किलो फूलों की वर्षा कर अपनी खुशी का इजहार किया। यह संभवत: पहला मौका था, जब महिलाओं का उल्लास फूटा पड़ रहा था। उनको यह अवसर एक गैर-सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल ने उपलब्ध कराया था।
इस संगठन ने वृंदावन की 1000 विधवाओं के जीवन-स्तर में सुधार के लिए न केवल तमाम उपाय किए, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए भी तमाम प्रयास किए। इस मौके पर सुलभ इंटरनेशनल के मुखिया डा. बिन्देश्वरी पाठक ने कहा कि उन्होंने विधवा एवं समाज द्वारा परित्यक्त महिलाओं को भी सामान्य जीवन व्यतीत करने का मौका देने के लिए होली के इस कार्यक्रम का आयोजन किया है।
पाठक ने बताया कि वृन्दावन में आयोजित इस कार्यक्रम से दुनियाभर में यह संदेश जाएगा कि भारत की विधवा महिलाओं ने सदियों से चली आ रहीं कुरीतियों की बेड़ियां तोड़ दी हैं। अब वे भी जनसामान्य के समान ही जीवन व्यतीत करने का अधिकार रखती हैं। पाठक ने महिलाओं से अपील की कि वे मनचाहा भोजन करें, गाएं-बजाएं, अपनी इच्छानुसार गीत-संगीत के कार्यक्रमों में शामिल हों और यदि चाहें तो मनचाहे साथी के साथ शादी कर घर बसाएं।
उन्होंने कहा कि अगले चरण में सुलभ का प्रयास होगा कि ऐसी महिलाएं गांवों में शिक्षा एवं स्वास्थ्य की अलख जगाएं। साथ ही इन महिलाओं को नर्सिंग के सामान्य कार्यों का प्रशिक्षण देकर तथा अहानिकारक दवाओं की जानकारी देकर, उन्हें स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जाएगा। इस प्रकार का आयोजन वाराणसी में भी किया जा रहा है। (भाषा)