भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत और संस्कृति में ही

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इंदौर। संस्कृतविद्‍ और शासकीय संस्कृत महाविद्यालय इंदौर के प्राचार्य डॉ. विनायक पांडे का मानना है कि भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत और संस्कृति में ही है। यदि ये दोनों सुरक्षित हैं तो ही देश सुरक्षित रहेगा। 
उन्होंने कहा कि संस्कृत जीवन से जुड़ी भाषा है। यह जीवन के साथ ही मृत्यु के बाद भी काम आने वाली भाषा है। आज पूरे विश्व में संस्कृत भाषा पर काम हो रहा है। मंगल अभियान की सफलता के बाद नासा के वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है कि कंप्यूटर के माध्यम से यदि पूरी दुनिया में कोई संपर्क भाषा हो सकती है तो वह संस्कृत है। ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां संस्कृत नहीं है। संस्कृति और संस्कार की हम बिना संस्कृत के कल्पना भी नहीं कर सकते।
 
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