ससुराल में प्यार पाए मेरी लाडो

वहाँ भी चहेती बने आपकी बिटिया

Webdunia
- अमृता जोशी

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आज मैंने अपनी माँ से पूछ ही लिया, माँ आप में ऐसे क्या है कि पिताजी के परिवार का हर सदस्य आप पर जान छिड़कता है, भरपूर सम्मान देता है। नहीं तो ऐसा हमेशा कहाँ देखने को मिलता है।

आखिर इन सबका राज क्या है? माँ ने हँसकर कहा- चिंता मत करो तुम्हारी शादी के पहले मैं वो सारे राज तुम्हें जरूर बताऊँगी जो मेरी माँ ने मुझे बताए थे। उन सब का पालन मैंने किया और ससुराल में सबका प्रेम पाया।

जी हाँ, आप भी जरूर चाहेंगी कि आपकी बिटिया रानी भी अपने ससुराल जाकर वहाँ राज करे। ससुराल का हर सदस्य उसे भरपूर सम्मान और स्नेह दे। हर बात पर उसकी राय ली जाए! तो आपको चाहिए कि बेटी को कुछ सबक सीख में दें जो उसके ससुराल वालों को अपना बनाने में काम आएँ।

सबसे प्रमुख सबक तो यह होना चाहिए कि वह शादी के बाद कभी भी अपने पति को गुलाम समझने की भूल न करे। वह उसका जीवनसंगी है, उसके हर दुःख और सुख में बराबरी से साथ निभाए। वह याद रखे कि हर इंसान के जीवन में सुख बाँटने हजारों लोग आते हैं पर दुःख में सबसे महत्वपूर्ण साथ जीवनसाथी का ही होता है।

  रिश्ते की बुनियाद सम्मान व इज्जत पर ही टिकी होती है। इसकी बात उसे और उसकी इसे बताने की आदत से भी बेटी को बचाकर रखें। ये बातें संयुक्त परिवार में आग में घी का काम करती हैं, जो कि गृहस्थ जीवन के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होता है।      
घर के हर एक सदस्य की बात ध्यान से सुनें। कोई बात उसे अच्छी न भी लगे तो उसका विरोध करने का तरीका बेहद ही सभ्य और शालीन होना चाहिए। गुस्से में इंसान कुछ भी कह जाता है और बात बढ़ जाती है। हाँ लेकिन गलत बात को वो बिलकुल भी सहन न करे बल्कि सही तरीके से उसका प्रतिकार करे।

यदि आपकी बिटिया को उसकी सास, देवर या ननद के खिलाफ कोई यह कहकर भड़का रहा है कि मैं तो तेरे भले के लिए ही कह रही थी। ऐसी स्थिति में बेटी को चाहिए कि सुनी-सुनाई बातों में आकर एकदम से गुस्से में भड़क कर अपनी गृहस्थी बर्बाद न करे। थोड़ी चतुराई से भाँपने की कोशिश करे कि क्या ऐसा वाकई में है।

चुपचाप रहकर ही माहौल का जायजा लें। उसके बाद ही अगला कदम सोच-समझकर उठाएँ। पर हाँ उससे पहले खुद को एक बार जरूर परख लें कि कहीं गलती उसकी भी तो नहीं है। जहाँ तक हो सके अपनी खामियाँ पहले दूर करने की सीख अपनी बेटी को दें।

आपकी बेटी चाहे किसी भी क्रम की बहू बने आखिर वो उस घर की बहू ही कहलाएगी उसके मन में हीनभावना न भरें कि वह बड़ी बहू है तो उसी को सबकी देखभाल करनी है, या छोटी बहू है तो उसे सभी का मान-सम्मान करते रहना पड़ेगा, सभी की सेवा करनी पड़ेगी।

उसे यह सीख दें कि वह हर रिश्ते का सम्मान करे। सबके के साथ इज्जत से पेश आए। रिश्ते की बुनियाद सम्मान व इज्जत पर ही टिकी होती है। इसकी बात उसे और उसकी इसे बताने की आदत से भी बेटी को बचाकर रखें। ये बातें संयुक्त परिवार में आग में घी का काम करती हैं, जो कि गृहस्थ जीवन के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होता है। हर सदस्य की छोटी-मोटी मदद जरूर करें। केवल बड़ों की सेवा से ही नहीं छोटों की मदद करके भी आप की बेटी उनका दिल जीत सकती है।

उसे अपनी चीजों को दूसरों के साथ बाँटना भी सिखाएँ तभी दूसरे भी अपनी चीजें आपकी बेटी को उपयोग करने देंगे। हमारे देश में रीति-रिवाज हर परिवार के अलग-अलग होते हैं। बिटिया को चाहिए कि अपने मायके के रीति-रिवाज ससुराल में ना थोपे और बात-बात पर अपने मायके की प्रशंसा न करें। फिर देखिए आपकी बेटी अपने ससुराल में कैसे राज करेगी और उसके ससुराल का हर सदस्य आपकी बेटी के गुण गाते नहीं थकेगा।
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