अमेरिका में हुए एक शोध के जरिए वैज्ञानिकों यह निष्कर्ष निकाला है कि नास्तिक लोग धार्मिक लोगों की तुलना में खुलकर सेक्स का मजा लेते हैं, जबकि धार्मिक प्रवृत्ति के लोग सेक्स के दौरान प्रयोग करने से हिचकिचाते हैं। शोध में पाया गया कि यदि धार्मिक लोग हिचकिचाहट के साथ सेक्स के दौरान नए प्रयोग कर भी लें तो भी बाद में वे ऐसा करने पर अफसोस करते हैं।
जबकि नास्तिक लोग सेक्स पर खुलकर बाते करते हैं तो अपने अनुभव एक दूसरे के साथ बांटते हैं। वे सेक्स की कल्पना करते हैं और फिर उसे साकार करने लगते हैं। इसमें उनके पार्टनर भी बराबर और सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
शोध के दौरान दोनों ही तरह के लोगों ने माना कि वे सेक्स में हस्तमैथुन, मुख मैथुन, 69 पोजिशन सेक्स जैसी क्रियाएं करते हैं, लेकिन धार्मिक प्रवृति के लोग ऐसे सेक्स को इनजॉय नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये धर्म या नीति के अनुसार नहीं है। हालांकि बाद में वे फिर ये सभी क्रियाएं दोहराते हैं, लेकिन ऐसे सेक्स को लेकर उनका पछतावा बना रहता है।
सेक्स इनजॉय क्यों नहीं कर पाते आस्तिक, जानें अगले पन्ने पर...
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कैनसास यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक डरैल रे और अमांडा ब्राउन ने आस्तिक और नास्तिक प्रवृति के चौदह हजार पांच सौ लोगों पर यह प्रयोग किया। ग्रुप में सभी लोग एक समान उम्र के थे और सेक्स के प्रति एक समान रूप से सजग भी।
यहां तक कि ये लोग हफ्ते में समान रूप से सेक्स करते रहे, लेकिन आस्तिक और नास्तिक लोगों में फर्क वहां आ गया, जब आस्तिकों ने कहा कि वे सेक्स को पूरी तरह इनजॉय करने में झिझकते हैं। सेक्स में अलग अलग क्रियाएं करने के बाद इन लोगों को अपराधबोध होता है और यही कारण है कि वे सेक्स का इतना आनंद नहीं ले पाते, जितना कि नास्तिक लोग लेते हैं। (एजेंसियां)