ब्रह्मचारी राघवानंदजी ब्रह्मलोक में लीन

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अनंत श्रीविभूषित महामंडलेश्वर नैष्ठिक ब्रह्मचारी राघवानंदजी का सौ वर्ष की आयु में 1 दिसंबर, बुधवार सुबह देवलोकगमन हो गया। अपराह्न में हजारों शिष्यों की उपस्थिति में महेश्वर के नर्मदा में जलसमाधि दी गई।

धामनोद के पास स्थित तपोस्थली राजराजेश्वरी धाम के संस्थापक महाराजश्री ने बाल्यकाल में ही वैराग्य प्राप्त कर लिया था। आरंभिक काल में आपने कसरावद में नर्मदा तट पर ढालखेड़ा में ललिता महात्रिपुरसुंदरी देवी की कठिन साधना की थी। वे अखिल भारतवर्षीय धर्मसंघ के स्थायी अध्यक्ष भी थे।

आप समाज सुधारक संत करपात्राजी महाराज से दीक्षित शिष्य थे। करपात्राजी के निर्देशानुसार आपने भी गौवंश हत्याबंदी के लिए कई आंदोलन किए थे।

अपने तपोबल से आपने धामनोद के पास एबी रोड पर स्थित राजराजेश्वरी धाम को तपोभूमि बनाया तथा उज्जैन में ललिता घाट (नृसिंह घाट) शिप्रा किनारे महात्रिपुरसुंदरी धाम की स्थापना की। आपने अनेक निराश लोगों के जीवन में खुशियाँ लौटाईं। बुधवार सुबह स्वामीजी के निधन की खबर पाकर उनके शिष्यों में दुख का वातावरण छा गया।
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