25 दिसंबर से मंगल होगा वक्री

मंगलनाथ को मनाने की तैयारी

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अँगरेजी नववर्ष मंगलमय करने के लिए लोग मंगल देवता को मनाने के लिए आतुर हैं। यही कारण है कि उज्जैन स्थित मंगलनाथ मंदिर में भातपूजा तथा मंगल जाप कराया जाता है। 25 दिसंबर से मंगल वक्री हो रहा है, इसलिए मंगल की शांति हेतु भातपूजा अथवा मंगल जाप का महत्व और भी बढ़ जाता है।

यूँ तो मंगलनाथ में भात पूजा करने के लिए मंगलवार का दिन ही शास्त्रोक्त उत्तम माना गया है, लेकिन श्रद्घालु पूजा के लिए रविवार तथा सोमवार भी तय कर रहे हैं। रविवार को छुट्टी का दिन होने से बाहरी लोगों का दबाव अपेक्षाकृत अधिक रहेगा। मंदिर के अधिकृत पुजारी और उनके प्रतिनिधि भातपूजा की तैयारियाँ मंदिर में ही कर देते हैं। बस पूजा कराने वालों को एडवांस में सूचना देनी होती है।

पूजा का समय: पूजा का समय प्रातः 5 बजे से प्रारंभ होता है और यह शाम 5 बजे तक सतत चलता है। एक समय में पाँच व्यक्ति एक साथ पूजा कर सकते हैं। इस प्रकार 12 घंटे में कुल 50 या 60 पूजनार्थी पूजा करा सकते हैं। पूजा में डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है।

पूजा में क्या हो सामग्री : मंगल की शांति, वाहन और भूमि आदि सुख प्राप्ति के लिए मंगलदेव की सामान्य या भातपूजा का महत्व है। भातपूजा के लिए 1.500 ग्राम पके हुए चावल, पंचामृत, लाल वस्त्र, लाल मसूर की दाल, पंच मेवा, मिठाई सहित मंगल की अन्य सामग्री लगती है। भातपूजा कराने से मंगल की शांति और भक्त को आशीर्वाद मिलने की शास्त्रोक्त मान्यता है। -महंत महेंद्र भारती, पुजारी मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन

मंगल की शांति पूजा से ही : मंगल की शांति के लिए मंगल देवता की पूजा ही महत्वपूर्ण है। उज्जैन मंगल की भूमि तो है ही, मंगल ग्रह की उत्पत्ति भी उज्जैन में ही मानी गई है इसलिए मंगलनाथ की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मंगल 25 दिसंबर से वक्री होगा। इसकी अवधि अप्रैल तक रहेगी। वक्री मंगल भारी होता है। इसका प्रभाव मेष, धनु तथा सिंह राशि पर होगा। विशेषकर इन राशि के जातकों को मंगलनाथ के दर्शन या भातपूजा जरूर कराना चाहिए। -पं. आनंदशंकर व्यास, ज्योतिषाचार्य उज्जैन

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